-आखिर क्यों वोटों की खातिर आमजन को फोकटखाऊ बनाने पर तुले हुए हैं राजनीतिक दल ✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
👉क्या सरकारी खजाना किसी की बपौती होता है? आखिर क्यों वोटों की खातिर आमजन को फोकटखाऊ बनाने पर तुले हुए हैं राजनीतिक दल। यह दो ऐसे ज्वलंत सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना ही चाहिए। राशन में गेहूं-चावल या तो फ्री या मामूली कीमत पर। दिल्ली में पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा फ्री। महानगर की सरकारी बसों में महिलाओं को यात्रा फ्री। प्रेम आनंदकरराजस्थान में चिकित्सा फ्री, महिलाओं को मोबाइल फोन फ्री, विद्यार्थियों को लैपटॉप फ्री, बालिकाओं को शिक्षा फ्री, तीन सौ यूनिट तक बिजली फ्री, अब उज्ज्वला व बीपीएल योजनाओं में रसोई गैस सिलेंडर पांच सौ रुपए में। केंद्र सरकार की ओर से उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन फ्री। कोरोनाकाल में अनेक सुविधाएं फ्री। अब तो वोटों की खातिर ना जाने क्या-क्या फ्री दिया जा रहा है। मतलब, सत्ता से चिपके रहने के लिए वोटों की खातिर सरकारी खजाने की बलि दी जा रही है। इसमें ना भाजपा, ना कांग्रेस, ना आम आदमी पार्टी (आप) और ना ही अन्य राजनीतिक दल पीछे हैं। चिकित्सा और शिक्षा फ्री हो, तो बात कुछ नहीं, बहुत हद तक समझ में भी आती है। बालिकाओं-महिलाओं सहित सभी लोग शिक्षित होंगे और स्वस्थ रहेंगे तो देश तरक्की करेगा। लेकिन धीरे-धीरे सब-कुछ फ्री करना या कर देना कहां तक उचित-अनुचित है, यह सवाल आज नहीं, तो कभी-ना-कभी जरूर पूछा जाएगा और जवाब मांगेगा। हम खाली हाथों को रोजगार दें, नौकरियों के अवसर बढ़ाएं, सरकारी नौकरियां सीमित हों, तो उद्योग-धंधे खोलने के लिए सस्ते ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराएं, रोजगार के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाएं, धन्नासेठों से फैक्ट्रियां लगवा कर युवाओं को रोजगार दिलवाने के कदम उठाएं। यह सब तो राजनीतिक दल और उनकी सरकारें करती नहीं हैं। बस वोटों की खातिर आमजन को फोकटखाऊ बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। जब सब-कुछ फोकट में ही मिलने लग जाएगा तो लोग काम-धंधा क्यों करेंगे। जब कामकाज नहीं करेंगे तो दुनियाभर के टैक्स कहां से भरेंगे। जब टैक्स नहीं भरेंगे तो सरकारी खजाने में पैसा कहां से आएगा। और जब जनता टैक्स नहीं देगी, तो सरकारें नौकरी करने वालों और मेहनतकशों की गर्दन पर हाथ डालेंगी। उन्हें टैक्स भरने के मजबूर करेंगी। टैक्स नहीं भरेंगे तो छापे मारेंगी। और अंत में फोकटखाऊ लोगों के चक्कर में वे लोग पिस जाएंगे, जो कड़ी मेहनत से अपने घर-परिवार का भरण-पोषण करते हैं या कर रहे हैं। भाजपा हो, कांग्रेस हो, आप हो, सपा हो, बसपा हो या अन्य कोई भी राजनीतिक दल हो, सत्ता के लालच में फोकट का घी पिलाना बंद करिए, वरना इस देश में निठल्लों की भरमार हो जाएगी और आपकी यह नीतियां कभी आपके लिए ही भारी पड़ेंगी।