-सांसदों को टिकट देकर चारों तरफ विरोध से घिरी भाजपा
-अजमेर के किशनगढ़ और जालोर में भाजपाइयों ने तानी मुट्ठी
-जालोर में सांसद देवजी पटेल को दिखाए काले झंडे, कार में तोड़फोड़
-सत्ता पाने के लालच में कहीं अपनों के रोष का शिकार ना बन जाए भाजपा
✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर l
👉”सिर मुंडाते ही ओले पड़े”, यह मुहावरा राजस्थान में भाजपा पर पूरी तरह चरितार्थ हो रहा हैl राजस्थान में विधानसभा की दो सौ सीटों के लिए 23 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए दो दिन पहले जारी 41 उम्मीदवारों की पहली सूची में 7 सांसदों को टिकट देने का खासा विरोध हो रहा हैl भाजपा चारों तरफ विरोध से घिर गई हैl अजमेर के किशनगढ़ में भाजपा के मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी और जालोर के सांचोर में जालोर के सांसद देवजी पटेल को टिकट देने का भारी विरोध हो रहा हैl इसी तरह अन्य सीटों पर भी सांसदों को टिकट देने का कड़ा विरोध किया जा रहा हैl जालोर में ना केवल भाजपाइयों ने तानी मुट्ठी, बल्कि सांसद देवजी पटेल को दिखाए काले झंडे और कार में तोड़फोड़ भी कीl भाजपा ने जो पहली सूची जारी की है, उसे देखते हुए ऐसा लगता है कि सत्ता पाने के लालच में भाजपा कहीं अपनों के ही रोष का शिकार होकर नहीं रह जाएl
प्रेम आनंदकर जब पहली सूची पर ही इतना बवाल मच रहा है तो सोचो, अगली सूचियों के आने पर क्या होगाl क्या सत्ता में आने के लिए सांसदों पर दांव लगाना ही एकमात्र उपाय हैl कुछ भाजपाइयों का कहना है कि राजस्थान में गुजरात मॉडल अपनाया जा रहा है, उनकी बात अपनी जगह सही हो सकती है, लेकिन यह भी ध्यान में रखना होगा कि हर राज्य और निर्वाचन क्षेत्र की स्थिति भी अलग-अलग होती हैl केवल एक सोच बना लेने या माइंड सेट कर लेने से भी कुछ नहीं होता हैl यदि जनता और पार्टी कार्यकर्ता बदलाव चाहते हैं तो करना भी चाहिए, क्योंकि वोट जनता को देने हैं और वोटरों को मतदान केंद्रों तक कार्यकर्ताओं को लाना हैl दरी कार्यकर्ता बिछाते हैं, कुर्सियां लगाते हैं, रैलियां निकालते हैं, झंडे थामते हैं, नारे लगाते हैं, पार्टी के लिए भूखे-प्यासे दिन-रात जुटे रहते हैंl इतना कुछ करने के बाद भी यदि कार्यकर्ताओं की भावनाओं और जनता की अपेक्षाओं का सम्मान नहीं किया जाए तो फिर बड़े-बड़े नेता किस मुंह से यह उम्मीद करते हैं कि जनता उनकी पार्टी को वोट देगी और कार्यकर्ता जी-जान लगाकर काम करेंगेl और यह भी भाजपा नेता जनता को बता दें कि जिन-जिन सांसदों को टिकट दिए गए हैं, उनका उनके संसदीय क्षेत्र में विकास कराने में कितना योगदान रहा है और ऐसी कौनसी उपलब्धि है, जिससे उनके संसदीय क्षेत्र में विकास को पंख लगे हों या लग जाएंगेl भाजपा के टिकटों को देखकर लगता है कि वह सत्ता पाने की लालसा में बुरी तरह बौखलाए हुए हैl और फिर कहते हैं कि जल्दबाजी या बौखलाहट में किए गए या किए जाने वाले निर्णयों का असर उल्टा ही होता हैl क्या असर पड़ेगा, यह आने वाला समय ही बताएगाl