-किशनगढ़ में सांसद भागीरथ चौधरी ने जो फसल बोई थी, वही अब खुद काटेंगे
✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर l
👉”बोए पेड़ बबूल का तो आम कहां से होए”, यह मुहावरा अब अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी पर सटीक साबित हो रहा हैl आप पूछेंगे, कैसे, तो चलिए, आपको थोड़ा पांच साल पीछे ले चलते हैंl वर्ष 2013 में राजस्थान विधानसभा के हुए चुनाव में भागीरथ चौधरी भाजपा के बैनर पर जीते थे, 2018 में जब राजस्थान विधानसभा के चुनाव हुए थे, तो भाजपा ने उनका टिकट काट दिया था और महर्षि दयानन्द सरस्वती यूनिवर्सिटी, अजमेर के छात्र संघ अध्यक्ष रहे युवा नेता विकास चौधरी को उम्मीदवार बनायाl यह बात भागीरथ को नागवार गुजरीl उधर कांग्रेस ने भी अपनी पिछली हार से सबक लेते हुए वर्ष 2013 में भागीरथ के हाथों हारे पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया का टिकट काट कर नंदराम थाकण को मैदान में उतारा थाl प्रेम आनंदकरसिनोदिया को भी ऐसा किया जाना रास नहीं आया, तो वे निर्दलीय मैदान में उतर गए थेl उधर भागीरथ ने अपना टिकट काटने से नाराज होकर अपने समर्थकों को जयपुर भेजकर भाजपा प्रदेश मुख्यालय पर प्रदर्शन कराया और समर्थकों से इस्तीफे दिलवाए थेl बात यहीं खत्म नहीं हुई, भागीरथ ने अंदरूनी तौर पर सिनोदिया से हाथ मिला कर विकास की राह में रोड़े अटकाएl नतीजतन ना भागीरथ, ना सिनोदिया को कुछ मिला और ना ही भाजपा व कांग्रेस के उम्मीदवारों कोl भाजपा-कांग्रेस दोनों के ही उम्मीदवार मात खा गए और नए-नए राजनीति में आकर निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले मार्बल व्यवसायी सुरेश टांक की किस्मत चमक गई और वे चुनाव जीत गएl इतना होने के बाद भी भाजपा ने वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भागीरथ चौधरी को अजमेर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और वे जीत भी गए, किन्तु पिछले पांच साल में एक भी कोई बड़ी उपलब्धि भागीरथ के खाते-बही में आज तक कहीं नजर नहीं आती हैl अब भाजपा ने नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भागीरथ को किशनगढ़ से अपना उम्मीदवार बनाया हैl जाहिर है, जिस विकास के लिए भागीरथ ने कुआं खोदा था, वही विकास अब खाई खोदेंगेl अब भागीरथ किस मुंह से विकास के पास सहयोग मांगने के लिए जाएंगेl अब एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या विकास कांग्रेस के पाले में जाएंगे या भाजपा में रहते हुए ही भागीरथ की भागीरथी को रोकेंगेl