मरुधरा की माटी के कण कण में बसे वीर और नौनिहाल लाल अपनी प्रतिभा की चमक बिखेरते रहते हैं। यही चमक राजस्थान को झिलमिल कर देश में नाम रौशन कर देती हैं। कुछ गुदडी के लाल ऐसे हैं जिनकी प्रतिभा पर कभी नजर पडती है तो कभी नहीं पडती। एतिहासिक और धामिर्क दृष्टि से पवित्र भूमि अजमेर में नितिन बंजारा ऐसी ही एक प्रतिभा है जिस पर किसी पारखी की नजर पडने का इंतजार है। यूं तो क्रिकेट हर युवा का फेवरिट गेम है और हर शहर में सैकडों युवा क्रिकेट खेलते हैं। लेकिन बालिग होने की उम्र में पहुंचने तक जिस विकट परिस्थितियों से संघर्ष करते एक क्रिकेट खिलाडी के रुप में नितिन बंजारा ने अपनी प्रतिभा का ऐसा प्रदर्शन किया है कि यदि किसी पारखी की नजर नितिन बंजारा के खेल पर पड गई होती तो आज बंजारा का मुकाम बहुत उंचा हो चुका होता। नितिन अन्य युवा क्रिकेट खिलाडियों के मुकाबले कुछ अलग इसलिए भी है कि नितिन गुदडी में छिपे उस लाल की तरह है जिसे परिस्थितियों ने पाला पोसा है। अजमेर के बंजारा परिवार के बेहद गरीब घर में जन्मे नितिन को छह साल की उम्र में मां का देहांत हो जाने के बाद पिता का साथ मिला। एक तरफ चार बहनों का एकलौता भाई नितिन अपने पिता गोपाल बंजारा के झाडू बनाने के काम में हाथ बंटाता रहा और दूसरी तरफ गोपाल बंजारा तिनका तिनका जोडकर झाडू बनाते हुए अपने बेटे का भविष्य भी बुनते रहे। नितिन पढता भी रहा, पिता के साथ काम भी करता रहा और समय निकाल कर अपने क्रिकेट खेलने के शौक को पूरा भी करता रहा। नितिन की नौसर्गिक प्रतिभा ने क्रिकेट खेल की बारीकी को समझा और विकिट कीपिंग और बैटिंग में वह अपनी समझ को विकसित करता गया। स्कूल के टूर्नामेंट फिर कॉलेज के टूर्नामेंट और फिर शहर के विभिन्न टूर्नामेंटों में खेल कर नितिन की प्रतिभा निखरती गई। अनेक टूर्नामेंटों में उसे बेस्ट प्लेयर होने का सम्मान मिलता गया। उधर उसके पिता गोपाल बंजारा झाडू बनाने के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपने अभिनय का लोहा मनवाते रहे। अजमेर के जाने माने नाट्यकर्मी लाखन सिंह के साथ मिलकर गोपाल बंजारा नाटकों में अभिनय करने लगे। अजमेर में गोपाल बंजारा की पहचान एक सशक्त नाटककर्मी की बन गई। लाखन सिंह ने भी गोपाल बंजारा की प्रतिभा को आगे बढाने का पूरा अवसर दिया और अपनी बढती उम्र को देखते हुए अपनी विरासत गोपाल बंजारा को सौंप दी। नाट्यकर्मी होने के साथ साथ अच्छा उद्घोषक होने से गोपाल बंजारा विख्यात हो गए जिसका लाभ यह रहा कि गोपाल बंजारा को केन्द्र और राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को नुक्कड नाटक के माध्यम से प्रचार प्रसार करने के अनेक अवसर मिले हैं। बेटी बचाओ, बेटी पढाओ, जल संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता अभियान जैसी योजनाओं को गोपाल बंजारा ने अपनी टीम बनाकर गांव गांव ढाणी ढाणी प्रचार किया है, उनकी इस मेहनत के परिणामस्वरुप लगभग दो करोड लोग सरकारी योजनाओं से परिचित और जागरुक हुए है।
– मुजफ्फर अली
एडीटर, द न्यूज मिरर इंडिया, अजमेर