बचपन गुज़रा गुज़र गई जवानी
आहिस्ता-आहिस्ता छा गया बुढ़ापा,
नसीब वाले होते है वे वृद्ध लोग
क्योंकि बोनस लाइफ है बुढ़ापा।
दबाकर अपनी ख्वाहिशों को
पूर्ण किया औरों की ख्वाहिशों को,
अब तो रहने दो ऐसी समझौता
क्योंकि बोनस लाइफ है बुढ़ापा।
मेरा, तेरा कहकर बीत गया
जीवन का पल-पल सारा,
अब तो कद्र करो बुढ़ापे की
क्योंकि बोनस लाइफ है बुढ़ापा।
छोड़ दो औरों के लिए जीना
छोड़ दो लोभ, मोह, लालसा,
अब जियो तो ख़ुद के लिए जियो
क्योंकि बोनस लाइफ है बुढ़ापा।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’सलुवा, प.बं।
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