पितृ दिवस पर मेरी कविता : पिता तो पिता है

पिता तो पिता है
पिता देवता है,
संकट हरण करने वाले
पालनकर्ता पिता है।

पिता परिवार का बहुमूल्य कवच है
पिता इज्ज़त को ढांकने वाली चमत्कार है,
पिता का कोई विकल्प नहीं
पिता तो पिता है।

पिता में कड़वापन का औषधि है
पिता में अपनापन का खजाना है,
पिता जैसा कोई स्तंभ नही
पिता तो पिता है।

पिता कठोर परिश्रम करता है
पिता ख़ुद जलकर रोशनी देता है,
सीखना हो तो पिता से संघर्ष सीखिए
पिता तो पिता है।

पिता जब तक आपके साथ है
यकिन मानिए आप सबसे अमीर है,
पिता को पहचानो पिता की हकीक़त जानो
पिता तो पिता है।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’सलुवा। प.ब. 9832170390.

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