*डोटासरा जी, कांग्रेस राज में इतना दहाड़ लेते तो तस्वीर अलग होती*

कोटा के भाषण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल
-जो विपक्ष में होते हैं, वे इसी तरह दहाड़ते हैं, सत्ता में रहने पर चुप्पी साध लेते हैं
-जो काम अब कांग्रेस और कांग्रेसी कर रहे हैं, वही काम कुछ माह पहले तक भाजपा और भाजपाइयों ने खूब किए
-यह सब सत्ता और राजनीति का खेल है साहब, आम जनता इन सबको क्या जाने और समझे

👉कोटा में प्रदर्शन कर रहे नीट छात्रों पर लाठीचार्ज और पानी की बौछारें चलाने के खिलाफ राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा जमकर दहाड़े। कोटा के पुलिस महानिरीक्षक रविदत्त गौड़ को डोटासरा ने किस भाषा में खरी-खोटी सुनाई, उसका वीडियो दो-तीन दिन से सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है और सैकड़ों कांग्रेसी उनकी तारीफ भी कर रहे हैं। कांग्रेसियों का कहना है कि डोटासरा वाकई हिम्मत वाले नेता हैं। यह बात जुदा है कि कोटा पुलिस ने डोटासरा, राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली सहित अनेक कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। अब भले ही कांग्रेसी जमकर डोटासरा की तारीफ करें और पुलिस को कोसे, लेकिन कुछ सवाल डोटासरा जी से। यही दहाड़ आपकी पार्टी के शासनकाल में क्यों नहीं रही? क्या राजस्थान में कांग्रेस शासनकाल में कहीं भी प्रदर्शनकारियों पर लाठियां नहीं भांजी गई थीं? उस वक्त आप चुप क्यों रहे? क्या यही पुलिस अधिकारी आपके शासनकाल में नहीं थे? उस वक्त आप क्यों नहीं दहाड़े। क्यों नहीं इसी अंदाज में अफसरशाही को अच्छी-बुरी सुनाते थे? यदि आप अपनी पार्टी के शासनकाल में इतना दहाड़ लेते और आमजन की दुख-तकलीफों को सुनकर उनका समाधान कर लेते जिस तरह अब जनता, छात्रों और अभ्यर्थियों के साथ खड़े हो रहे, उसी तरह पहले खड़े रहते, तो तस्वीर ही अलग होती और कांग्रेस सत्ता से बाहर नहीं होती।

प्रेम आनंदकर
जब चूंकि आप विपक्ष में बैठे हैं, तो आप दहाड़ रहे हैं। जो काम अब आप कर रहे हैं, वही काम छह महीने पहले तक विपक्ष में बैठी भाजपा और उसके नेता करते थे। उस वक्त चूंकि आप सत्ता में थे, इसलिए आप चुप्पी साधे हुए थे। अब भाजपा सत्ता में है, तो उसके नेता चुप्पी साधे हुए रहते हैं। दोनों पार्टियों में कोई अंतर नहीं है। विपक्ष में बैठते ही नेताओं को आमजन की चिंता सताने लगती है, पुलिस की लाठियां दिखाई देती हैं, अपराधों का बढ़ता ग्राफ दिखने लगता है। कई बार प्रदर्शनकारियों पर लाठियां तो कांग्रेस के शासनकाल में भी चलाई गई थीं। पुलिस वालों ने ही नहीं, अनेक आईएएस और आरएएस अधिकारियों ने जनता के साथ ज्यादतियां की थीं, किंतु उस वक्त आप सत्ता में होने के कारण इन सबके पैरोकार और रहनुमा बने हुए थे। अब भाजपा सत्ता में है, तो वह इनके अलावा किसी अन्य की सुनना ही नहीं चाहती है। क्या कोटा में जिन छात्रों पर लाठियां भांजी गई थीं, वह कांग्रेस समर्थक या कार्यकर्ता थे? नीट परीक्षा का पेपर लीक होने का मसला तो सभी दलों का है। क्या कांग्रेस राज में पेपर लीक नहीं हुए थे? क्या तब छात्रों और अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन नहीं किया था? तो अब केवल कांग्रेस ही क्यों चिल्ला रही है? भाजपाई क्यों नहीं मुंह खोल रहे हैं? जाहिर है, जिस तरह कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए कांग्रेसियों के मुंह पर ताले लटके हुए थे, उसी तरह अब भाजपा के सत्ता में होने पर भाजपाइयों के मुंह सिल गए हैं। यदि अभी कांग्रेस सत्ता में और भाजपा विपक्ष में होती, तो भाजपा नेता भी उसी अंदाज में दहाड़ते, जिस अंदाज में डोटासरा और अन्य कांग्रेसी दहाड़ रहे हैं। जिस तरह डोटासरा और जूली सहित अनेक कांग्रेस नेताओं पर मुकदमे ठोके गए हैं, उसी तरह कांग्रेस राज में अनेक भाजपा नेताओं पर ठोके गए थे। जो भाजपा नेता विपक्ष में रहते हुए जनहित के मुद्दों को लेकर आए दिन आंदोलन करते थे, वह अब चुप बैठे हुए हैं, क्योंकि अब मुंह खोलने का मतलब, अपनी ही पार्टी की सरकार के खिलाफ बगावत और खिलाफत करना माना जाएगा। यह सब सत्ता और राजनीति का खेल है साहब, आम जनता इन सबको क्या जाने और समझेl
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✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।
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