झूठों का बोलबाला

किसीको चाहकर भी अपना बनाना यहां
सबसे मुश्किल काम होता है यारों,
लोग तो हवा का रूख देखकर यहां
ख़ामोशी से अपना रुख़ बदल लेता है यारों।

भले ही सब कुछ लुटा देना किसकी खातिर यहां
हजारों अच्छाई छोड़ एक गलत पकड़ता है यारों,
जितनी भी किसीको एहसान कर लेना यहां
एहसान के बदले एहसान फरामोश होता है यारों।

सच, झूठ का सरोकार नहीं किसीको यहां
सुनी-सुनाई बातों को सच मान लेता हैं यारों,
अच्छों-अच्छों की मिट चुकी है हस्ती यहां
आजकल झूठों का बोलबाला होता है यारों।

गोपाल नेवार, ‘गणेश’सलुवा, पश्चिम मेदिनीपुर।प. बं। 9732170390.

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