*पुलिस और कानून के इकबाल को चुनौती*

*जेल से मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी देना मामूली बात नहीं,फिर आम जनता की सुरक्षा कौन करेगा*
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*■ओम माथुर ■*

*कोई अपराधी जेल से पुलिस नियंत्रण कक्ष में फोन करके ये धमकी दे कि मुख्यमंत्री को गोली मारेंगे,तो उस राज्य की पुलिस,कानून-व्यवस्था और जेलों की सुरक्षा व्यवस्था की पोल अपने आप खुल जाती है। राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को मारने के लिए दौसा जेल में नाबालिग से दुष्कर्म की सजा भुगत रहे कैदी ने जो फोन किया,वह इस बात का सबूत है कि अपराधियों में पुलिस और कानून का खौफ नाममात्र का भी नहीं है। जब जेल से पुलिस को फोन करके मुख्यमंत्री को मारने की धमकी दी जा सकती है,तो जो अपराधी खुले में घूम रहे हैं,उनसे आम लोगों की रक्षा कौन करेगा। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब मुख्यमंत्री को जान से मारने की धमकी दी गई हो। 6 महीने पहले जयपुर सेंट्रल जेल में भी बंद एक कैदी ने कंट्रोल रूम पर कॉल करके शर्मा को मारने की धमकी दी थी।*

ओम माथुर
*आम लोगों को सुरक्षित रखने के लिए अपराधियों को जेल में रखा जाता है, ताकि वह समाज में और शांति भंग नहीं करें और किए की सजा पाकर सुधर कर बाहर आएं। लेकिन लगता हैं अब जेल अपराधियों के लिए सुधार स्थल नहीं,बल्कि अपराधों को अंजाम देने का सुरक्षित स्थल बन गई है। मुख्यमंत्री को मारने की धमकी देने के बाद दौसा की जेल की तलाशी ली गई,तो वहां 10 मोबाइल और पेन ड्राइव मिले। आखिर जेल में किसी कैदी के पास फोन या अन्य आपत्तिजनक सामग्री कैसे पहुंच कैसे जाते हैं? जाहिर है जेल सुरक्षा व्यवस्था के लिए तैनात तंत्र ही उनसे मिला हुआ होता है। इसमें जेल अधीक्षक, उप अधीक्षक,जेलर,सहायक, सुरक्षा प्रहरी तक शामिल होते ह़ै। जो उनसे मुंहमांगे पैसे वसूल कर उन्हें ये सुविधाएं मुहैया कराते हैं। ऐसे कितने ही मामले देश भर में सामने आ चुके हैं, जब बड़े-बड़े अपराधी जेल में रहकर बाहर अपने गिरोह का संचालन करते हैं। वह जेल में ही रहकर फिरौती के लिए लोगों को धमकाते हैं। जेल से ही फोन करके बाहर अपने गुर्गों को किसी की हत्या करने के निर्देश देते हैं। कई टीवी चैनलों ने जेल में रहते हुए कुख्यात अपराधियों के इंटरव्यू तक प्रसारित किए हैं। कई अपराधी जेल में अपनी रील बनाकर सोशल मीडिया पर डालते रहे हैं। जाहिर है जेल में इस तरह की मौज तभी मिल सकती है,जब अपराधी पैसों से जेल स्टाफ को खरीद ले। इसके बाद जेल में कैदियों को मादक पदार्थों से लेकर उनका मनपसंद खाना,अन्य वस्तुएं,मोबाइल आदि आसानी से उपलब्ध हो जाती है। उन्हें अपने लोगों से जेल में कभी भी मिलने की छूट भी मिलती है। कुख्यात और बड़े अपराधियों की जेल में ही अन्य कैदियों से सेवा भी कराई जाती है। मोबाइल और अन्य आपत्तिजनक वस्तुएं किसी एक जेल में नहीं, बल्कि आमतौर पर हर जेल में उपलब्ध होती है और तलाशी के दौरान मिलती भी रही है। और तो और अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में भी (जहां देश भर के कुख्यात अपराधी बंद है) समय-समय पर जांच में मोबाइल जब्त होते रहे हैं। जिन्हें कानून की रक्षा करनी है, वही तंत्र जब अपराधियों का सरपरस्त बन जाता है, तो फिर जेल भी उनके लिए घर जैसी हो जाती है। यानी अपराध के लिए दोषी को सजा काटने के लिए जेल भेजा जाता है, लेकिन वह वहां भी अच्छी सुविधाएं हासिल कर मजे से रहता है।*
*मुख्यमंत्री भजनलाल को धमकी मिलना कानून और पुलिस के इकबाल पर गहरी चोट है। पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान में बिगड़ी कानून व्यवस्था और अपराधों को मुख्य मुद्दा बनाया था और उसे इस पर समर्थन भी मिला था। तब भाजपा ने बहुत हुआ महिला अत्याचार ,अब नहीं रहेगा। बिगड़ गई है कानून व्यवस्था,नहीं सहेगा राजस्थान, जैसे नारे गढे थे और गहलोत राज में लगातार हुए अपराधों के कारण कांग्रेस को इसका नुकसान भी उठाना पड़ा था। लेकिन लगता नहीं है कि भाजपा के करीब आठ माह के शासन के बाद भी राजस्थान में कानून व्यवस्था में कोई सुधार हुआ हो। बजरी और खान माफिया आज भी सक्रिय है और आम लोगों को तो छोडिए, पुलिस तक को कुचलने से नहीं घबराता है। महिलाओं से बलात्कार व अत्याचार के मामले भी जस के तस हो रहे हैं। पुलिस और अपराधियों की मिलीभगत आए दिन सामने आ रही है। यानी जो राजस्थान की जनता ने कानून व्यवस्था की दुर्गति गहलोत राज में देखी, वही भजन लाल शर्मा के राज में कायम है। मुख्यमंत्री आए दिन यह चेतावनी देते हैं कि अपराधी राजस्थान में आएंगे,तो वापस नहीं जाएंगे। लेकिन पहले वह राजस्थान के अपराधियों पर तो कठोरता से लगाम लगाए़, ताकि पुलिस और कानून का राज नजर आए। शर्मा खुद गृहमंत्री भी है, इसलिए ये जिम्मेदारी भी उन्हीं की है। जेलों में मोबाइल या अन्य वस्तुएं मिलने पर वहां के स्टाफ को निलंबित नहीं,सीधा बर्खास्त किया जाना चाहिए। साथ ही मोबाइल नेटवर्क रोकने के लिए जैमर सिस्टम का भी उपयोग शुरू किया जाना चाहिए, ताकि जेल से किए जाने वाले अपराध तो काबू में आएं।*
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