*पद,कद,मद,तोड़ ही देते हैं हद*

*मोदी ने भाजपा में कई नेताओं को कद की हद बता दी है*
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*■ ओम माथुर ■*

ओम माथुर
*■पद मिलने से जब कद बढ़ता है,तो मद आ ही जाता है। तब कोई नेता अपनी हद में कहां रहता है।*
*■लेकिन पद जाने के साथ ही मद चला जाता है,तो कद किस काम का।*
*■भाजपा में पद जाने के बाद कई नेताओं का कद जाते हुए सबने देखा है। येदियुरप्पा,उमा भारती,कल्याणसिंह,शंकरसिंह वाघेला आदि-आदि। अपने-अपने राज्यों के कद्दावर नेता थे। पद गया,तो मद के साथ कद भी गया। अब कौन पूछता है। वो सयाने निकले, जो मद वाला पद जाते ही राजभवनों में शिफ्ट हो गए। सुख-सुविधाएं तो भोगने को मिलती रहेगी।*
*■ पद होता है,तो पीछे समर्थकों की फौज होती है। नारे लगाने वालों की भीड़ होती है। चमचे होते हैं। जी-हुजूरी करने वाले होते हैं। इससे ही तो मद का जन्म होता है। फिर पद दूसरे के पास चला जाता है,तो मद और कद भी वहीं शिफ्ट हो जाता।*
*■ पता नहीं वसुंधरा राजे पद व मद जाने के बाद कौनसे कद की बात कर रही थी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने दस साल में ना जाने कितने नेताओं के पद लेकर उनके मद और कद दोनों को हद बता दी। तो,राजनीति के कई खिलाड़ियों को पवेलियन से उठाकर सीधा उठाकर कप्तान बना कद बढ़ा दिया।राजस्थान में वसुंधरा और भजनलाल पद और कद की ऐसी ही मिसाल है।*
*■ वसुंधरा को अभी भी राजस्थान में अपना कद सबसे बड़ा लग रहा है,लेकिन इसे वो खुद बता रही है। लेकिन दिल्ली कहां मान रही है। राजस्थान में सरकार बनने के बाद पद,मद,कद सब किनारे हैं। दिल्ली के भी सत्ता के मद में आ जाने के बाद वहां आंकड़ा भले ही 303 से 240 पर आ गया हो। लेकिन पद बचा रहा,तो कद भी सलामत ही है। निशाना तो वहीं था। इस आड़ में दिल्ली की शह पर कद बनाने वाले चिलगोजों को भी लपेट लिया।*
*■ नया प्रदेश अध्यक्ष बनने,नौ माह बाद भी सरकार पर अफसरशाही का रूतबा रहने, पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव,विधानसभा सत्र में कई मंत्रियों की खराब या औसत परफोरमेंस, मंत्रिमंडल के पुर्नगठन की चर्चाओं के बीच पद,मद,कद की चर्चा अब हद से ज्यादा हो रही है। लेकिन सवाल है कि क्या वसुधंरा अपने कद के अनुरूप फिर पद पा सकेगी? शायद नहीं,क्योंकि मदन राठौड़ भी पंसद तो दिल्ली की ही है।*
*9351415379*

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