ऐ ज़िन्दगी इस भरी दुनिया में
पल-पल बढ़ते ही जा रहे हो,
कभी हंसाकर तो कभी रुलाकर
मालुम नहीं कहां लिए जा रहे हो ।
ऐ ज़िन्दगी तूने सफर के दौरान
अच्छे-बुरे लोगों से मिलाते हुए,
ज़ीने का तरीका भी सिखाते हुए
मालुम नहीं कहां लिए जा रहे हो।
ऐ ज़िन्दगी इस अंजान राह में
मंजिल तक पहूंचाने के बहाने,
हर गली-मोहल्लों से निकलते हुए
मालुम नहीं कहां लिए जा रहे हो।
ऐ ज़िन्दगी थक चुका हूं सफर से
आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं रही,
ऐ ज़िन्दगी अब ठहर जा, रुक जा
मालुम हो गया यहां की सारी दुनियादारी ।
गोपाल नेवार,
‘गणेश’सलुवा, खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर,
पश्चिम बंगाल। 9832170390.