जवाहरलाल नेहरू ने ऐतिहासिक भाषण ’ट्रिस्ट विद डेस्टनी’14 अगस्त की मध्यरात्रि को वायसराय लॉज (मौजूदा राष्ट्रपति भवन) से दिया था | तब नेहरू प्रधानमंत्री नहीं बने थे | इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना | यह ऐतिहासिक भाषण हमारे मस्तिष्क पर तत्कालीन भारत की दशा और स्वतंत्रता सेनानियों के स्वप्नों का मानचित्र प्रस्तुत करता है इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधी उस दिन नौ बजे ही सोने चले गए थे |
15 अगस्त 1947 को जवाहर लाल नेहरू का भाषण
जवाहर लाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा कि कई साल पहले हमने भाग्य को बदलने का प्रयास किया था | आज वो समय आ गया है जब हम अपनी से गुलामी से मुक्त हो जाएंगे. पूरी तरह नहीं लेकिन यह महत्वपूर्ण है. जब आधी रात 12 बजे पूरी दुनिया सो रही होगी. इस दौरान भारत स्वतंत्र जीवन के साथ नई शुरुआत करेगा. नेहरू के इस भाषण ने हर भारतीय के अंदर नए भारत के सपने की ललक जगाने का काम किया | नेहरू ने अपने भाषण में कहा- ये ऐसा समय है जो इतिहास में बेहद कम देखने को मिलता है | पुराने से नए की ओर जाना. एक युग का अंत होना. अब सालों से शोषित देश की आत्मा अपनी बात कह सकती है | उन्होंने कहा कि यह संयोग है कि हम पूरे समर्पण के साथ भारत और उसकी जनता की सेवा के लिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं. इतिहास की शुरुआत के साथ ही भारत ने अपनी खोज शुरू की और न जाने कितनी सदियां इसकी भव्य सफलताओं और असफलताओं से भरी हुई हैं| दूसरे युग की भारत खुद को खोज रहा है….
नेहरू ने कहा कि समय अच्छा हो या बुरा, भारत ने कभी अपने आदर्शों को नहीं भुलाया, जिसने हमेशा हमें आगे बढ़ने की शक्ति दी. आज एक युग का अंत हो रहा है. लेकिन दूसरे युग की तरफ भारत खुद को खोज रहा है. जिस उपलब्धि की हम खुशियां मना रहे हैं |वो नए अवसरों के खुलने के लिए केवल एक कदम है. इससे भी बड़ी जीत और उपलब्धियां हमारा इंतजार कर रही हैं. क्योंकि हममें इतनी समझदारी और शक्ति है जो हम इस अवसर को समझें और भविष्य में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करें |
किसी भी आंख में न रहे आंसू….
ई है | 1947 इसका साक्षरता स्तर भी खतरनाक रूप से लगभग 12 प्रतिशत से भी कम था। 12 प्रतिशत से
77 हो गयी है |
जवाहर लाल नेहरू ने भारतीयों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि भविष्य में चैन से नहीं बैठना है. हम जो बात कह रहे हैं या कर रहे हैं उसे पूरा किए बगैर आराम नहीं करना है. भारत की सेवा का मतलब है करोड़ों पीड़ितों की सेवा करना यानी गरीबी को मिटाना, बीमारियों और अवसर की असमानता को खत्म करना. हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही इच्छा है कि किसी भी आंख में आंसू न रहें | नेहरू ने आगे कहा कि लोगों की आंखों में जब तक आंसू हैं वो पीड़ित हैं. तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा. इसके लिए हमें मेहनत करने की जरूरत है. ये सपने भारत के लिए हैं साथ पूरे विश्व के लिए भी हैं. कोई भी देश अब खुद को अलग नहीं सोच सकता है क्योंकि सभी राष्ट्र और सभी लोग एक दूसरे से बड़ी निकटता से जुड़े हुए हैं | शांति को विभाजित नहीं किया जा सकता है. ऐसे ही स्वतंत्रता को भी विभाजित नहीं किया जा सकता है. हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जहां उसके सारे बच्चे रह सकें |
एक नए तारा का उदय हुआ, काश यह उम्मीद धूमिल न हो…
नेहरू ने अपने संबोधन में कहा कि अब सही समय आ चुका है जब सालों के संघर्ष के बाद अब भारत जागृत है और खड़ा है. हमारे लिए नया इतिहास शुरू हो चुका है. एक ऐसा इतिहास जिसका निर्माण हम करेंगे | जिसे हम बनाएंगे और जिसके बारे में अन्य लोग देखेंगे | एक नए तारे का जन्म हुआ है और यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है. एक नई उम्मीद का जन्म हुआ है. काश ये तारा कभी अस्त न हो और ये उम्मीद कभी धूमिल न हो. हम हमेशा इस आजादी में खुश रहें, आने वाला भविष्य हमें बुला रहा है |
15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया | दोपहर में नेहरू ने उन्हेंने अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी जिनमें सरदार पटेल आर ऐ चेट्टी बाबा साहिब अम्बेडकर बलदेवसिंह गोपालस्वामी आयेंगर मोलाना आज़ाद राजेंद्र प्रसाद श्यामा प्रसाद मुख़र्जी जजीवंराम एच सी भाभा रफी अहमद किदवई डा अमृत कौर वी गाडगीळ केसी नियोगी शामिल थे | इसके बाद नेहरु मे इंडिया गेट के पास प्रिंसेस गार्डन में एक सभा को संबोधित किया |15 अगस्त, 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने दफ़्तर में काम किया | दोपहर में नेहरू ने उन्हेंने अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपी इसमे
नेहरुने इंडिया गेट के पास प्रिंसेस गार्डन में एक सभा को संबोधित किया |
हमारे प्रथम स्वतंत्रता दिवस की शाम और 15अगस्त की सुबह की भूली बिसरी यादें स्वतंत्र भारत के पिछले 76 वर्षो में की गोरवमयी प्रगति की तरफ बड़ते हुए कदम
जैसे-जैसे राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता के 77वें वर्ष के अंत की ओर बढ़ रहा है, यह पीछे मुड़कर देखने लायक है कि इतने कम समय में राष्ट्र कितना आगे आ गया है। स्वतंत्रता के समय भारत की जनसंख्या 34 करोड़ थी। आज हमारे देश की जनसंख्या 143 करोड़ के आस पास हो गयी है |
| आजादी प्राप्ति के समय हमारी प्रति व्यक्ति आय मात्र 249 रूपये वार्षिक थी जो आज ब एक लाख बहत्तर हजार हो गई है | उस वक्तत ओसतआयु केवल 32 साल हो थी जो आज लगभग 67.7 हो गई है | एक उल्लेखनीय पलब्धि है यहे आंकड़े उनके मुहं पर करार तमाचा है जो कहते हैं कि पिछले 70 सालों में कुछ भी काम नहीं हुआ था |
ब्रिटिश शासन के तहत अशांत अवधि की समाप्देति के समय हमारी जीडीपी मात्र 2.7 लाख करोड़ थी जो दुनिया की कुल जीडीपी का मात्र 3 प्रतिशत थी। आज हमारी जी दी पी 3.18 बीलीयंन अमेरीकन डालर हो गई और हम दुनिया की चोथी बड़ी आर्थिक व्यस्था बन गये हैं | ध्यानदेने लायकबातहै किहमारीविशालजनसंख्याकोदेखतेहुए यहभी काफी नही है |
हमारे मुल्क में उस समय के अंदर सुई जैसी वस्तु नहीं बनती थी | आज हम उपग्रह बनाते हैं और उपग्रह चन्द्रमा की स्थ पर उतरने की और अग्रसर है ऐसा करने वाले हम तीसरे मुल्क होगें || देश में हजारों कालेज , सेक्दू विश्व विद्यलय आई आए टी आई ऍम जैसे संस्थान हाई | हजारों मेडिकल कालेज है | अनेको इंडियन इंस्टिट्यूटआफ मेडिकलसाइंस संस्थान है| हमारे डाक्टर ईंजीय्न्र वैज्ञानिक शिक्षा विद्ध \ विदेशों में भारत का मान बड़ा रहें हैं | प्रथम प्रधान मंत्री ने भंक्दा बाँध बनवा क्र उनको आधुनिक मंदीर कहा थ | हमारे देश के अंदर हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई फ़ारसी आदि विभिन्न धर्मों के लोग प्रेम से रहता हैं | हमारा मुल्क विभीन्न्ता मे एकता की जीती जाती मिसाल है | हमारे राष्ट्र निर्माताओं धर्म को व्यक्ति गत आस्था माना है और हर धर्म के इन्सान का अपनी अपने श्रद्धा और आस्था के साथ जीन की सलाह दी थी उन्होंने कभी भी धर्म और राजनीती कू मिलाने की बात नहीं की थी यही हमारे धर्म निरपेक्षता का मूल सिद्धांत है |
अमेरिका हमारे डाक्टर श्रेष्ट माने जाते हैं |
स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने भी हम आगे हैं | हमारे यहाँ अनेक देशों की मरीज इलाज कराने आते है |
राष्ट्र में बेंकों का राष्ट्रीय क्र्ण करके बेंकों दरवाजे सामन्य लोगों के लिए खोल दिए | राजा म्हाराज्जों के प्रीप्र्ष समाप्त क्र दिते हैं | सिकीम को देश का अविभाज्य अंग बना दिया | पिछली शताब्दी मे एनए मुल्क का निर्माम करनाने की हिम्मत इन्दीरा जी में ही थी | तिरानवे हजार पाकिस्तान के सेंकू ब्न्द्दे मनाने की शक्ति हम में ही थी शिमला समझोते अनेक सालों त्कक्ष्मीर में शान्ति बनी रही | सार्वाजनिक शेस्त्र मे अंकों उपक्रम बना करर हजारों को रोजगार फिया गया | हरित क्रांति सफेद क्रांत की वजह से हम खाद्यान मे आत्म निर्भर हो दुसरी मुल्कों में उनका निर्यात क्र रहें इसी प्रकार दूध का उत्पदन बड़ा क्र दूध की डेयरी का का विस्तार करने वाले भी हमी हैं |
भाखड़ा नगंल हीराकुंड बान्ध हमी ने बनाये है } स्टील प्लांट्स का निर्माण भी हम्बे ही किया है| तेजस वायुमान भी हमारे देश के अंदर बनते है | जीवन बीमा निगम , हिन्दुस्थान ऐईरोनिकीट्स, इंडिया ओइल
, भारत पेट्रोलियम इसरो भाभा एटॉमिक संस्थान आदि अनेक सार्वजनिक उपक्रम बनाये गये थे, जिनमे हजारों लोगो को रोजगार मिला था |
आजादी के समय भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आधे से ज्यादा हिस्सा कृषि उद्योग से आता था। 1947 में, राष्ट्र ने लगभग 50 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन किया, और आज के पांच गुना से अधिक उत्पादन के बावजूद, कृषि अब भारतीय अर्थव्यवस्था के 16 प्रतिशत से भी कम है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था ने अनुभव किए गए विशाल संरचनात्मक बदलावों को दर्शाता है, विशेष रूप से 1990 के दशक की शुरुआत में उदारीकरण नीतियों के कार्यान्वयन के बाद।
प्रजातंत्र गणतन्त्र 73 वर्ष का प्रोढ़ बन चुका है जिसको मजबूती प्रदान करने वालों आधुनिक भारत ले श्लिकार्प नेहरु थे | देश के अंदर सबसे बड़ा लिखोत संविधान है |
जैसे-जैसे राष्ट्र अपनी स्वतंत्रता के 76वें वर्ष के अंत की ओर बढ़ रहा है, यह पीछे मुड़कर देखने लायक है कि इतने कम समय में राष्ट्र कितना आगे आ गया है। स्वतंत्रता के समय भारत की जनसंख्या 34 करोड़ थी। आज हमारे देश की जनसंख्या 143 करोड़ के आस पास हो गई है | 1947 इसका साक्षरता स्तर भी खतरनाक रूप से लगभग 12 प्रतिशत से भी कम था। 12 पतिशत से बद क्र77.7 प्रतिशत हो गई है | आजादी प्राप्ति के समय हमारी परत व्यक्ति आय मात्र 249 रूपये वार्षिक थी जो आज बद क्र एक लाख बहत्तर हजार हो गई है | उस वक्त हमारी औसत आयु केवल 32 साल हो थी जो आज लगभग 67 गई है | एक उल्लेखनीय उपलब्धि है यहे आंकड़े उनके मुहं पर करार तमाचा है जो कहते हैं कि पिछले 70 सालों में कुछ भी काम नहीं हुआ था |
ब्रिटिश शासन के तहत अशांत अवधि की समाप्देति के समय हमारी जीडीपी मात्र 2.7 लाख करोड़ थी जो दुनिया की कुल जीडीपी का मात्र 3 प्रतिशत थी। आज हमारी जी दी पी 3.18 बीलीयंन अमेरीकन डालर हो गई और हम दुनिया की चोथी बड़ी आर्थिक व्यस्था बन गये हैं |
देश के अंदर सुई जैसी वस्तु नहीं बनती थी | आज हम उपग्रह बनाते हैं और उपग्रह चन्द्रमा की स्थ पर उतरने की और अग्रसर है ऐसा करने वाले हम तीसरे मुल्क होगें || देश में हजारों कालेज , सैकड़ो विश्व विद्यालय आई आए टी आई ऍम जैसे संस्थान हाई | हजारों मेडिकल कालेज है | हमारे डाक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक शिक्षा विदद\ विदेशों में भारत का मान बड़ा रहें हैं | प्रथम प्रधान मंत्री ने भाकड़ा बाँध बनवा कर उनको आधुनिक मंदीर कहा थ | हमारे देश के अंदर हिन्दू मुसलमान सिख ईसाई फ़ारसी आदि विभिन्न धर्मों के लोग प्रेम से रहता हैं | हमारा मुल्क विभीन्न्ता मे एकता की जीती जाती मिसाल है | हमारे राष्ट्र निर्माताओं धर्म को व्यक्ति गत आस्था माना है और हर धर्म के इन्सान का अपनी अपने श्रद्धा और आस्था के साथ जीन की सलाह दी थी उन्होंने कभी भी धर्म और राजनीती कू मिलाने की बात नहीं की थी यही हमारे धर्म निरपेक्षता का मूल सिद्धांत है |
अमेरिका हमारे डाक्टर श्रेष्ट माने जाते हैं |
स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने भी हम आगे हैं | हमारे यहाँ अनेक देशों की मरीज इलाज कराने आते है |
राष्ट्र में बेंकों का राष्ट्रीय कर्ण करके बेंकों दरवाजे सामन्य लोगों के लिए खोल दिए | राजा मारजाओं के प्रीवर्ष समाप्त कर दिया | सीकीम को देश का अविभाज्य अंग बना दिया | पिछली शताब्दी मे पाकिस्तान का विभाजन करके एक नये मुल्क बंगला देश का निर्माम करनाने की हिम्मत इन्दीरा जी में ही थी | तिरानवे हजार पाकिस्तान के सैनिक बंधी मनाने की शक्ति हम में ही थी शिमला समझोते अनेक सालों तक कक्ष्मीर में शान्ति बनी रही | सार्वाजनिक शेस्त्र मे अंकों उपक्रम बना करर हजारों को रोजगार फिया गया | हरित क्रांति सफेद क्रांत की वजह से हम खाद्यान मे आत्म निर्भर हो कर दुसरी मुल्कों में उनका निर्यात रहें इसी प्रकार दूध का उत्पदन बड़ा कर दूध डेयरीयों का विस्तार करने वाले भी हमी हैं |
आजादी के समय भारत के सकल घरेलू उत्पाद का आधे से ज्यादा हिस्सा कृषि उद्योग से आता था। 1947 में, राष्ट्र ने लगभग 50 मिलियन टन खाद्यान्न का उत्पादन किया, और आज के पांच गुना से अधिक उत्पादन के बावजूद, कृषि अब भारतीय अर्थव्यवस्था के 16 प्रतिशत से भी कम है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था ने अनुभव किए गए विशाल संरचनात्मक बदलावों को दर्शाता है, विशेष रूप से 1990 के दशक की शुरुआत में उदारीकरण नीतियों के कार्यान्वयन के बाद। सच्चाई तो यही है कि पिछले 76 वर्षों उन्नति हुई है किन्तु प्रगति का रास्ता बहुत लम्बा और चुनौती भरा है इसीलिए सत्ता विपक्ष को मिल कर काम करना ही होगा |
डा. जे.के.गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर