*राष्ट्रपति की चिंता और ममता की धमकी*

*कोलकाता में डाक्टर रेप व मर्डर के मामले में चल रही राजनीति शर्मनाक, ऐसे मुद्दों पर भी राजनीतिक दल एक नहीं होते,राज्यों में सत्ता के हिसाब से बदलते हैं स्टैंड*
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*■ ओम माथुर ■*
*पहले ये दो बयान पढ़िए ।*
*-राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कोलकाता में हुई डॉक्टर के रेप एवं मर्डर बारे में कहा कि, जब ये सुना तो मैं निराश और भयभीत हुई। ज्यादा दुखद बात यह है कि ये घटना अकेली घटना नहीं है। यह महिलाओं के खिलाफ अपराध का एक हिस्सा है। अब बहुत हो चुका। समाज को भी ऐसी घटनाओं को भूलने की खराब आदत है।*
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*-पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वो अपनी पार्टी भाजपा के जरिए बंगाल में आग लगाने की कोशिश कर रहे हैं। आप बंगाल जलाएंगे, तो असम,नॉर्थ ईस्ट, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा भी जलेंगे। आग दिल्ली तक पहुंचेगी। हम पीएम की कुर्सी गिरा देंगे।*
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ओम माथुर
*दोनों महिलाएं हैं। एक देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठी है़,तो दूसरी एक बड़े राज्य की लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री हैं। देश की राष्ट्रपति मुर्मू के मन में महिलाओं से दुराचार और अत्याचार को लेकर निराशा और चिंता को समझा जा सकता है। लेकिन अगर उन्हें भी ऐसी घटनाओं से भय लगता है,तो देश में आम महिलाओं की हालत और उनकी सुरक्षा को समझा जा सकता है। राष्ट्रपति कघ चिंता के बाद केंद्र सरकार को भी ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए,जो बलात्कारियों कै फांसी की सजा ही है। उधर, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जमीनी नेता हैं और अपने संघर्ष और जुझारूपन के कारण इतने सालों से मुख्यमंत्री हैं। महिलाओं की अस्मत की चिंता उन्हें भी होनी ही चाहती। लेकिन उनकी भाषा तल्ख और धमकी भरी है।*
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*इसमें कोई शक नहीं की कोलकाता रेप कांड को लेकर जितनी जांच हो रही है, उतनी ही राजनीति भी हो रही है। ममता बनर्जी ने बंगाल में मतदाताओं के धुव्रीकरण से ऐसा राजनीतिक जाल तैयार कर लिया है। जिसे भाजपा काट नहीं पा रही है और बार-बार तमाम कोशिशों के बाद भी चुनावों में बंगाल में ममता से पटकनी खा रही है। ऐसे में इस कांड ने उसे ममता और उनकी सरकार पर निर्मम राजनीतिक हमले का बड़ा अवसर दे दिया है। लेकिन राजनीति में यही होता है। ऐसी किसी भी घटना पर विपक्ष, सरकार को घेरता है। राजनीतिक हमले करता है। प्रदर्शन करता है और विरोध का हर हथियार आजमाता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि विरोध का जवाब देने के लिए कोई धमकी की भाषा पर उतर आए। ममता भाजपा पर राजनीति करने के आरोप लगा सकती हैं, लेकिन जिस भाषा का उन्होंने इस्तेमाल इसके लिए किया, वह घोर आपत्तिजनक है।*
*लोकतंत्र में किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री की भाषा ममता बनर्जी वाली नहीं हो सकती है। ऐसा लगता है कि ममता को राष्ट्रपति के 27 अगस्त को दिए पहले बयान के बाद इस बात की आशंका हुई होगी की पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है। इसलिए उन्होंने देश के कई राज्यों में भी आग लगाने की धमकी दे डाली। लेकिन जिन राज्यों के उन्होंने नाम लिए,वहां सभी जगह (झारखंड़ को छोडकर) भाजपा की सरकारें हैं। लेकिन ममता की तृणमूल कांग्रेस का कोई आधार नहीं है। तो क्या, वह इंडिया गठबंधन के नेताओं को उकसाकर इन राज्यों में अशांति फैलाने की बात कर रही थी? क्या इसके लिए उन्होंने गठबंधन के सहयोगियों, कांग्रेस सहित अन्य दलों से बात कर ली है? क्या सहयोगी देश में अराजकता फैलाने को तैयार हैं? जाहिर है मोदी की हर तरह के खिलाफत करने के बाद भी इंडिया गठबंधन में शामिल दल ममता की राज्यों को जलाने के विचार से तो शायद सहमत नहीं होंगे। शायद इसलिए कघ कुछ विपक्षी नेताओं के भारत में भी बांग्लादेश वाले हालात होने की चेतावनी भरे बयान आ चुके हैं। लगता है ममता भाजपा के विरोध प्रदर्शन और बंगाल बंद के कारण पड़ रहे दबाव और लोगों में खराब होती अपनी छवि को बचाने के लिए धमकी दे रही है। उन्होंने ये भी कहा कि हम पीएम यानी मोदी की कुर्सी गिरा देंगे। कैसे? भले ही भाजपा को इस बार पूर्ण बहुमत नहीं मिला हो,लेकिन वह टीडीपी व जेडीयू के समर्थन से एनडीए के बैनर तले बहुमत की सरकार चला रहे हैं। पीएम को हटाने यानी सरकार गिराने के लिए विपक्ष बहुमत कहां से लाएगा।*
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*कोलकाता की डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या पर कोई भी दल राजनीति करें,ये शर्मनाक हैं। लेकिन क्या करें,हमारे देश में राजनीति का चरित्र ही यही हो गया। वो संवेदनशीलता, मर्यादा,जनहित, भावनाओं को भूलकर हर बात को वोटों के तराजू में तोलती है। मामले की जांच सीबीआई कर रही है,जिसे 17 सितंबर को हाईकोर्ट कै रिपोर्ट सौंपनी है। ऐसे में जब तक जांच चलती रहेगी, राजनीति भी चलती रहेगी। देश में रोजाना 100 से ज्यादा बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। यह उन राज्यों में भी हो रही है,जहां भाजपा की सरकारें हैं। लेकिन ये दल सभी घटनाओं पर समान चर्चा कर समाधान निकालने के बजाय उन्हें राजनीतिक फायदे के लिए उछालते या छिपाते हैं। बलात्कार जैसे मामलों में भी राजनीतिक दल उस राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी को देख स्टैंड लेते हैं।*
*9351415379*

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