विधा – कविता
रख हौंसला वीर जवान ग़म के दिन गुज़र जाएंगे,
ख़तरो के मंडराते हुए यह बादल भी टल जाएंगे।
पसीना बहाना रक्त बचाना अच्छे दिन भी आएंगे,
जब लगेगा स्टार तुम्हारे लोग तालियां बजाएंगे।।
इन ऑंसुओं को पीते पीते तुमने वर्षों गुज़ार दिए,
बस बहुत हो गयी नौकरी फिर भी करते ही गए।
देश के कोने-कोने की बटालियन में रहते हो तुम,
भगवान विश्वकर्मा का पूजा-पाठ करते ही गए।।
एक पेड़ माॅं के नाम लगाना सभी को बताना तुम,
आत्मविश्वास की भरके हुॅंकार बीड़ा उठाना तुम।
रखना तू तलवार हाथ में अंडर कमांड रहना तुम,
घाव मत करना जीवो को पेड़ पौधे बचाना तुम।।
तुम्हारे राह में जो अन्धेरा था वो सब दूर हो गया,
ये सुनहरी किरणें लायी है अब सबके लिए नया।
चलेचल राही कर्मपथ पर एएसआई बन जायेगा,
वक्त का सदुपयोग कर अब ये शोहरत पा गया।।
रचनाकार ✍️
गणपत लाल उदय, अजमेर राजस्थान
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (भारत सरकार)
ganapatlaludai77@gmail.com