▶️जब लोकसभा में अध्यक्ष, राज्यसभा में सभापति के साथ प्रधानमंत्री और विधानसभा में अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री सहित अन्य कोई भी मंत्री आसन पर नहीं बैठते हैं, तो नगर निकायों और जिला परिषदों की साधारण सभाओं में अधिकारी आसन पर किस हैसियत से बैठते हैं*
*✍️प्रेम आनन्दकर, अजमेर।*
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*👉दोस्तों, बहुत दिनों से संवैधानिक व्यवस्थाओं, परंपराओं और परिपाटियों को लेकर कुछ सवाल मन में कौंध रहे थे, जो आप सभी प्रबुद्ध लोगों के समक्ष इस ब्लॉग के माध्यम से रख रहा हूं। गरिमामय सदन की बात कर रहा हूं। सदन चाहे लोकसभा का हो, राज्यसभा का हो, विधानसभा का हो या फिर नगर निकायों और जिला परिषदों का हो। जब लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के सदन चलते हैं, तो आसन पर केवल लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के सभापति (उप राष्ट्रपति) और विधानसभा अध्यक्ष विराजमान होते हैं। आसन पर इनके अलावा प्रधानमंत्री, अन्य किसी भी स्तर के केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री व अन्य किसी भी मंत्री को बैठने की ना तो अनुमति होती है और ना ही संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था है। लोकसभा और राज्यसभा में प्रधानमंत्री व अन्य मंत्री भी सांसदों और राज्यसभा सदस्यों (सांसदों) के साथ ही बैठते हैं। इसी प्रकार विधानसभा में मुख्यमंत्री भी अन्य विधायकों के साथ बैठते हैं। यह बात अलग है कि सदन में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री सहित प्रमुख मंत्रियों की सीटें आगे वाली पंक्तियों में होती हैं। इन सबके विपरीत नगर पालिका, नगर परिषद, नगर निगम और जिला परिषद की जब-जब साधारण सभाएं होती हैं, तो नगर पालिका में अधिशासी अधिकारी, नगर परिषद व नगर निगम में आयुक्त और जिला परिषद में जिला कलेक्टर व मुख्य कार्यकारी अधिकारी साधारण सभा में आसन यानी नगर पालिका के अध्यक्ष, नगर परिषद के सभापति, नगर निगम के महापौर और जिला परिषद के जिला प्रमुख के साथ बराबर आसन पर बैठते हैं। जबकि सदन की गरिमा के हिसाब से आसन पर केवल निकाय प्रमुख और जिला प्रमुख ही बैठने चाहिए। सभी अधिकारी आसन के सामने बैठने चाहिए। मुझे पता नहीं, संविधान में क्या व्यवस्था है? किंतु जब इस बारे में अधिकृत तौर पर जानकारी पाने के लिए संविधान और नियमों से जुड़ी किताबें खंगाली, तो कहीं भी कुछ पुख्ता जानकारी हासिल नहीं हुई। लेकिन लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा के सदनों की व्यवस्था को देखकर जो सवाल मन में कौंधा, वह आप सबके सामने रखा है। सदन चाहे कोई-सा भी होगा, उसकी अपनी अलग गरिमा होती है और वह गरिमा बनी भी रहनी चाहिए। इसीलिए यह सवाल मन में आया कि जब लोकसभा में अध्यक्ष, राज्यसभा में सभापति के साथ प्रधानमंत्री और विधानसभा में अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री सहित अन्य कोई भी मंत्री आसन पर नहीं बैठते हैं, तो नगर निकायों और जिला परिषदों की साधारण सभाओं में अधिकारी आसन पर किस हैसियत से बैठते हैं। यह सवाल बहुत गहराई से सोचने वाला है कि लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा की तरह निकायों और जिला परिषदों की साधारण सभाओं में आसन पर केवल मुखिया ही बैठने चाहिए, अधिकारियों को क्यों बैठाया जाता है। संवैधानिक नियमों के अनुसार, जब सदन चल रहा होता है, तो हर आदेश आसन से ही दिया जाता है।
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