याद रखे सच्चा सुख केवल सत्य से ही मिलता है, यह भी संभव है की इस प्रक्रिया मे आपको दुःख का भी सामना करना पड़े | यह भी सत्य है कि जहां पर बुद्धीजीवी का अपमान होता है उस स्थान पर लक्ष्मीजी निवास नहीं करती है | माता लक्ष्मी वहीं निवास करती है जहाँ गरीबों की मदद करने ओर उनकी सेवा करने की भावना होती है, जहाँ मूर्खो और पाखंडीयों को सम्मानित नहीं किया जाता है, जहाँ लोगों जरुरतबंध स्त्री-पुरूषों को कभी खाली हाथ नहीँ लोटाया जाता है,जहाँ बच्चों को भगवान के तुल्य मान कर उन्हें प्यार दिया जाता है, जहां पारिवरिक-क्लेश नहीं होते है और जहाँ पति-पत्नी दो शरीर एवं एक आत्मा के रूप मै रहते हैं |
निसंदेह लक्ष्मी जी वहां कभी नहीं जाती जहां पर गंदगी होगी ओर लोग आलसी-कामचोर, घमंडी, क्रोधी होंगे एवं जहाँ पर महिलाओं-बच्चो का सम्मान नहीं होगा | माँ लक्ष्मी उनसे भी नाराज होती हैं जो शंकालु, परिवर्तन से डरने वाले, डर मै ही जीने वाले, डरपोक एवं जो सिर्फ अपने लिए ही धन इकट्ठा करने वाले होते हैं |
धर्म शास्त्रों में उल्लेखित मान्यता निर्विवाद और सही हे, किन्तु आज के माहौल को देख आत्मा स्वयं से सवाल करती है और तर्क वितर्क भी करती है “क्यों माता लक्ष्मी आज धन -संपदा से ईमानदारों,बुद्धीजीवियों,सत्यवानदीयों और कानून में विश्वास रखने वालों के बजाय भ्रष्टाचार अनाचार मे लिप्त, सजायाप्ता स्त्री-पुरुष, जनसाधारण का शोषण करने वाले लोगों को उपकृत करती दिखाई दे रही है, क्यों समाज के कंटक, गुंडे लोग ऐशोआराम की जिंदगी जी रहें हैं ? क्यों बुद्धीजीवीयों को अनपढ़ों के आदेश मानने पड़ रहे हैं ? क्यों सत्यवादी आदमीयों के लिये अपनी न्यूनतम जरूरतों को पूरा करने के लिये भी संघर्ष करना पड़ रहा है ? क्यों जुमलेबाज लोगों को मूर्ख बना कर अपना हित साध पाने में सफल हो रहे हें ? सच्चाई तो यही है कि परमात्मा के न्याय में देरी तो हो सकती है किन्तु देर सबेर न्याय जरूर मिलता है | प्रभु ईसामसीह कहते थे कि सुई की नोक के अंदर ऊँट तो भले ही प्रवेश कर सकता है किन्तु गलत तरीकों से धन कमाने वाला व्यक्ति कभी भी स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सकता है उनको तो माया लक्ष्मी भ्रमित करती है मोक्ष दायनी माँ लक्ष्मी उनसे कोसो दूर रहती है और ऐसे धनिक मनुष्य को जीवन के किसी पड़ाव पर असाध्य रोगों बीमारियों से और अन चाही तकलीफों के शिकार होते हैं उनके परिजन धन की अधितकता की वजह से पथ भ्रष्ट होकर नारकीय जीवन जीते हैं | माने या नही माने ऐसे आदमीयों के परिजन परिवार की प्रतिष्ठता को कलंकित करते है | गुरु नानक देव जि ने बतलाया था कि नेकी की कमाई ही सच्चा सुख सम्पनता प्रदान करती है |
डा .जे.के.गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज
शिक्षा जयपुर