हास्य–व्यंग्य
यह उन दिनों की बात है जब हाई स्कूल में पढते थे. एक बार वहां इंटर स्कूल कुश्ती प्रतियोगिता आयोजित की गई. सहपाठियों के उकसावे में आकर मैं भी अखाडे में उतर गया. ऐन मौकें पर रैफरी मुझें पहचान गया. वह मुझें, स्कूल में ही, इसके पहले एक कुश्ती लडते हुए देख चुका था जिसमें सामने वाले प्रतियोगी ने मुझें धोबी-पछाड दांव लगाकर अखाडे से बाहर उछाल दिया था. मुझें देखते ही रैफरी बोला भैया ! तू रहने दे. पहले, दंड-बैठक लगा, कुछ खा-पी, फिर कुश्ती लडना.
पढाई के बाद कही नौकरी नही लग रही थी. उन्ही दिनों फौज में भर्ती निकली. एक रोज हिम्मत करके, साथियों के साथ, Recruitment Board पहुंच गया. वहां सेना का एक हरियाणवी जवान हम सबको मैदान में लेगया. इतने में ही कुछ गोलियां चलने की आवाज की गई जिसे सुनकर मेरी घिग्गी बंध गई. जवान हरियाणे का था मुझसे बोला, जवान ! तू अभी रैण दे, फिर कभी देखना.
जब अजमेर में सिविल लाईन स्थित एक कॉलोनी में रहते थे तब एक बार वहां चोरियां रोकने हेतु रात्रि सतर्कता दल बनाने की बात उठी. मैंने भी अपना नाम आगे बढाया तो सोसायटी के लोगों ने मुझसे पूछा आप क्या करेंगे ? तो मैंने कहा कि जागते रहो, जागते रहो नारें के साथ गश्त लगाउंगा तो एक सदस्य ने कहा कि जब हम ही जागते रहेंगे तो सतर्कता दल में आपकी क्या आवश्यकता है ? अत: आप रहने दो.
दिल्ली में एक बार ऑपोलो हॉस्पीटल जाना पडा. किसी रिश्तेदार का हार्ट का ऑपरेशन था. मैं भी, अपना खून देने, हॉस्पीटल के Blood Bank गया. इतने में वहां और रिश्तेदार भी आगए. उनमें से एक ने मुझें ब्लड देने हेतु मना किया, बोला पिछली बार जीजाजी के समय आपने एक बोतल ब्लड दिया था तो आपकी तबीयत खराब होगई थी और फिर आपके तीन बोतल ब्लड चढाना पडा था. इसलिए आप रहने दो.
दिल्ली में ही एक बार हम लोगों को मटियाला विधानसभा सदस्य के साथ किसी काम से सचिवालय जाना पडा. वहां जब ऊपर की मंजिल पहुंचने के लिए सभी लिफ्ट में सवार होगए तो Lift Operator ने कहा कि Lift Over Load होगई है अत: एक-दो को बाहर आना पडेगा. इस पर मैं बाहर निकलने लगा तो मेरी कद-काठी देखकर वह बोला अंकल ! आप रहने दो.
इन सब बातों को देखते हुए मुझें डर है कि कभी डाक्टर या न्यायालय की भूल-चूक से मुझें ऊपर भेज दिया गया तो यमलोक के C. E. O (चित्रगुप्तजी) मुझें यह कह कर न लौटा दे कि अंकल ! आप अभी रहने दो.