
जन जन के नायक महान स्वतन्त्रता सेनानी नेता जी कहते थे कि राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम, शिवम, सुन्दरम से प्रेरित होना चाहिये | उन्होंने हमें अपने जीवन में सदेव आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी थी चाहे हमारा सफर कितना ही भयानक, कष्टदायी दुखी और बदतर हो | सुभाष बोस ने हमें संदेश दिया था कि सफलता, हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है |जो अपनी ताकत पर भरोसा करते हैं, वो आगे बढ़ते हैं किन्तु उधार की ताकत वाले घायल हो जाते हैं | नेताजी ने बतलाया कि मेरा अनुभव है कि हमेशा आशा की कोई न कोई किरण आती है, जो हमें जीवन से दूर भटकने नहीं देती | नेताजी बार बार बोलते थे कि अन्याय और अपराध को सहना और गलत के साथ समझौता करना है सबसे बड़े पाप हैं| भारतीयों का कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं | हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आज़ादी मिले, हमारे अन्दर उस आजादी की रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए | एक सैनिक के रूप में आपको हमेशा तीन आदर्शों को संजोना और उन पर जीना होगा ये आदर्श हैं सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान | जो सिपाही हमेशा अपने देश के प्रति वफादार रहता है, जो हमेशा अपना जीवन बलिदान करने को तैयार रहता है, वो सिपाही अजेय है | अगर तुम भी अजेय बनना चाहते हो तो इन तीन आदर्शों को अपने ह्रदय में समाहित कर लो |
नेताजी अक्सर कहते थे कि सफलता हमसे दूर जरुर हो सकती है किन्तु वह दिन अधिक दूर नहीं जब हम भी सफल होंगे | याद रखिये कि जीवन में सफलता का आना अनिवार्य ही है | नेताजी के मुताबिक मां का प्यार सबसे गहरा और है स्वार्थ रहित होता है | माँ के प्यार को मापने का कोई पैमाना हो नहीं सकता है मां की ममता और प्यार को किसी भी तरह से मापा नहीं जा सकता | नेताजी ने हमको समझाया कि हमारे देश की प्रमुख समस्याएं गरीबी, अशिक्षा, बीमारी, कुशल उत्पादन एवं वितरण सिर्फ समाजवादी तरीके से ही की जा सकती है |
आजाद हिन्द फौज के प्रणेता क्रां
अपने सार्वजनिक जीवन में सुभाष
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ने के लिये, उन्होंने जापान के सहयोग से आज़ाद हिन्द फ़ौज का गठन किया था उनके द्वारा दिया गया जय हिन्द का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। उन्होंने भारतवासियों को “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा” का नारा दिया था जो आज भी हमारे मन मस्तिष्क में गूंज रहा है |
21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपींस, कोरि
23 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो ने बताया कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदाई, पायलट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गम्भीर रूप से जल गये थे। उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने अंतिम श्वास ली और नेताजी पंच महाभूतों में विलीन हो गये। सितम्बर के मध्य में उनकी अस्थियाँ संचित करके जापान की राजधानी टोक्यो के रेगोंजी मंदिर में रख दी गयी भारतीय महालेखाकार से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि ग्यारह बजे हुई थी।
आजाद हिन्द फौज के माध्यम से भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने के नेताजी का प्रयास हालांकि प्रत्यक्ष रूप में सफल नहीं हो सका था किन्तु उनका दूरगामी परिणाम हुआ। सन् 1946 के नौसेना का विद्रोह इसका जीता जागता प्रमाण है। नौसेना विद्रोह के बाद ही ब्रिटेन को विश्वास हो गया कि अब भारतीय सेना के बल पर भारत में शासन नहीं किया जा सकता और भारत को स्वतंत्र करने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा।
आजाद हिन्द फौज को छोड़कर विश्व-इतिहास में ऐसा कोई भी दृष्टांत नहीं मिलता जहाँ तीस-पैंतीस हजार युद्धबंदियों ने संगठित होकर अपने देश की आजादी के लिए ऐसा प्रबल संघर्ष छेड़ा हो।
सुभाष चंद्र बोस के उनके संघर्षों और देश सेवा के जज्बे के कारण ही महात्मा गांधी ने उन्हें देशभक्तों का देशभक्त कहा था | नेताजी मानते थे कि जिस व्यक्ति के अंदर ‘सनक’ नहीं होती वो कभी महान नहीं बन सकता | लेकिन उसके अंदर, इसके अलावा भी कुछ और होना चाहिए |
आजाद हिंद सरकार के 75 साल पूर्ण होने पर साल 2018 मे पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त के अलावा लाल किले पर तिरंगा फहराया। प्राप्त सूचनाओं के मुताबिक नेताजी के 125 वें जन्मदिवस के उपलक्ष में भारत सरकार 2022 के गणतंत्र दिवस समारोह का शुभारंभ 24 जनवरी के बजाय 23 जनवरी से करने की योजना बना रही है |जन जन के दुलारे नेताजी का जन्मदिन देश में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है | जन जन के दुलारे नेताजी के 23 जनवरी 2025 को राष्ट्र उन के 128 वें जन्म दिन पर उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करता है |
डा. जे. के. गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा जयपुर