गणतंत्र दिवस पर विशेष- अधिकार से पहले अनुशासन की बात करें ..

हम भारत देश के वासी ही संविधान की ताक़त, हम ही इसकी प्रेरणा व उद्देश्य है। इस वर्ष गणतंत्र दिवस इसलिए हमारे लिए विशेष है क्योंकि 75 वाँ वर्ष हम मना रहे हैं पर वास्तविक रूप से गणतंत्र के सही मायने तभी समझेंगे जब अधिकार से पहले हम अनुशासन की बात करेंगे।
तीन अनुशासन किसी मज़बूत गणतंत्र के लिए बेहद ज़रूरी है
1. सामाजिक अनुशासन
अच्छा समाज चाहते हैं तो सत्य का पालन कीजिए… अफवाहें कभी मत फैलाइए। एक अच्छे समाज की पहली शर्त है कि उसका हर सदस्य, सत्य का पालन करे। अपने कर्तव्यों का पूरी सत्यता से पालन करे। आज के दौर में यह अनुशासन सामान्य जीवन के साथ ही वर्चुअल जीवन में भी जरूरी है। आप पड़ोसी से मधुर संबंध रखते हैं, मगर बिना जाने सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी दूसरों को भेजते हैं तो सामाजिक रिश्ते मधुर नहीं हो सकते।
2. नागरिक अनुशासन
मजबूत कानून-व्यवस्था चाहते हैं तो खुद हर कानून का पालन जरूर कीजिए। हर नागरिक का पहला कर्तव्य है कि वह देश के संविधान का पूर्णतः पालन करे। हर नियम-कानून को पूरी तरह माने, फिर चाहे वह जेब्रा क्रॉसिंग से सड़क पार करने और अपनी लेन में ही गाड़ी चलाने जैसे साधारण ट्रैफिक नियम ही क्यों न हों। कानूनों का पालन करने वाला ही सरकार के बनाए किसी कानून के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार रखता है।
3. राजनीतिक अनुशासन
अच्छी सरकार चाहते हैं तो पहले अच्छा नेता चुनिए… और उसे पहले वोट दीजिए। बतौर नागरिक आपका ही कर्तव्य है कि आप देश को एक अच्छा नेता दें जो जाति, धर्म, लाभ-हानि से ऊपर उठकर देश के हर व्यक्ति को सक्षम बनाए ना कि चुनावी रेवड़ियाँ बाँटकर जनता को घुमराह करे। अपनी चुनी हुई सरकार के हर कदम की जानकारी रखिए, समीक्षा भी कीजिए कि हमारे द्वारा चुना हुआ जनप्रतिनिधि वास्तव में जनता के साथ कैसा बर्ताव कर रहा व कहीं अपनी स्वार्थ पूर्ति में जनता का शोषण तो नहीं कर रहा, और इससे भी जरूरी है कि नेता के चुनाव की प्रक्रिया में अपनी भागीदारी यानी मताधिकार का प्रयोग अवश्य करें।
– श्रमण डॉ पुष्पेंद्र 

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