जय श्री राम

शिव शर्मा

जय श्री राम

यह मंत्र है। इसका अर्थ समझें।
जय; इसमें दो अक्षर हैं – ज और य। ज का मतलब जन्म या होना या तेजस्वी। य का अर्थ है – यश। इस तरह जय यानि यशस्वी हों, यश का तेज (आलोक) चारों तरफ फैले। जिसका यश सर्वत्र व्याप्त है।
श्री – विभूतियां, ऐश्वर्य। गीता के नौवें अध्याय में भगवान की 81 विभूतियों का उल्लेख है। चौंसठ कलाएं, आठ सिद्धियां और नौ निधियां। तो जब राम नाम से पहले श्री लगाते हैं तब यह बताया जाता है कि वे इतनी विभूतियों वाले हैं। वे परमेश्वर हैं। राम – र, अ, म। र यानि ज्ञान। तैत्तिरीय उपनिषद कहता है कि प्रज्ञानं ब्रह्म यानि ज्ञान की उच्चतम अवस्था ही ब्रह्म है। अ यानि अनंत। म का मतलब है ब्रह्म। इस तरह राम का अर्थ है – जिसमें अनंत ज्ञान, अनंत शक्ति और सारी विभूतियां हैं।
पूरे मंत्र का अर्थ है – श्री राम ब्रह्म रूप हैं। उनमें अनंत ज्ञान, ऐश्वर्य, सामर्थ्य है। उनका यश तेजोमय आलोक की तरह सर्वत्र व्याप्त है। ऐसे श्रीराम हम पर कृपा करें, हमारा उद्धार करें।

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