
आज मैं आपको वकील संशोधन बिल 2025 Advocate Amendment Bill 2025 के खिलाफ अपनी बात रखने जा रहा हूँ
यह बिल वकीलों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर करता है और उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास करता है। आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं कि यह बिल क्यों गलत है और इसका विरोध क्यों जरूरी है:-
1. वकीलों की आवाज़ को दबाने का प्रयास
– इस बिल के तहत वकीलों को कोर्ट के कामकाज से हड़ताल या बहिष्कार करने पर रोक लगाई गई है (धारा 35A)
– यह प्रावधान वकीलों के संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 19 – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन करता है।
– वकीलों को अपनी मांगों और समस्याओं को उठाने के लिए हड़ताल या बहिष्कार एक महत्वपूर्ण हथियार होता है। इसे छीन लेना उनकी आवाज़ को दबाने जैसा है।
2. अनुचित जुर्माने का प्रावधान
– इस अधिनियम में वकीलों पर 3 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है (धारा 35)
– यह जुर्माना वकीलों के पेशेवर आचरण को लेकर है, लेकिन इसे लागू करने का तरीका पक्षपातपूर्ण हो सकता है
– इससे वकीलों पर अनावश्यक दबाव बनेगा और उनकी स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
3. झूठी शिकायतों पर जुर्माना, लेकिन वकीलों के लिए कोई सुरक्षा नहीं है
अगर कोई शिकायत झूठी पाई जाती है, तो शिकायतकर्ता पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है (धारा 35)
– हालांकि, अगर वकील के खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की जाती है, तो उसके लिए कोई सुरक्षा नहीं है। यह एक तरफा और अन्यायपूर्ण है।
4. वकीलों को तुरंत निलंबित करने का अधिकार
– बार काउंसिल ऑफ इंडिया को यह अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी वकील को तुरंत निलंबित कर सकती है (धारा 36)
– यह प्रावधान वकीलों के खिलाफ दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकता है। बिना उचित जांच के किसी को निलंबित करना अन्यायपूर्ण है।
5. न्याय प्रणाली में वकीलों की भूमिका को कमजोर करना
– वकील न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके बिना न्याय प्रक्रिया अधूरी है।
– इस बिल के तहत वकीलों को अनुशासनात्मक कार्यवाही का डर दिखाकर उनकी स्वतंत्रता को कमजोर किया जा रहा है। यह न्याय प्रणाली के लिए खतरनाक है।
इसलिए मेरा सभी अभिभाषक बंधुओ से व निवेदन है कि वह इस बिल के विरोध में आवश्यक कदम उठाएं। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वकील हित में शीघ्र निर्णय लेकर बिल का विरोध प्रदर्शन करें तथा बार काउंसिल आफ राजस्थान के अध्यक्ष एवं सभी बार काउंसलर से व सभी अधिवक्ताओं से निवेदन है कि बिल के विरोध में आवश्यक निर्णय एवं प्रस्ताव लेकर विरोध स्वरूप सांकेतिक हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन करने हेतु योजना बनाऐं।