उड़ता तीर

बजट से बल्ले बल्ले।
राज्य की भजन लाल सरकार का दूसरा बजट आ गया है इस बजट में बड़ी घोषणा तो नहीं की गई लेकिन मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा गया है लगता है मुख्यमंत्री समझ गए हैं कि अभी ताबड़ तोड़ काम करने से कुछ नहीं मिलने वाला है जो करना है बड़ा काम वह तीसरे और चौथे बजट में किया जाए वहीं राइजिंग राजस्थान के किए गए एग्रीमेंटों को जमीन पर उतर जाए तो अपने आप सरकार का दूसरे वर्ष में दबदबा हो जाएगा। रिफाइनरी और कई बड़ी योजनाओं का सेहरा खुद सरकार के सिर पर अगले एक साल में बंध जाएगा इसलिए जो काम करने हैं उसके बाद किया जाए यही सोच है।
 सदन में साजिश।
मुख्यमंत्री भजनलाल ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को पूरी तरह से दबा दिया है लेकिन इसके बावजूद भी वह विधानसभा के सदन में अपने खिलाफ हो रही साजिशों को नहीं रोक पा रहे हैं। कुछ विधायकों और मंत्रियों ने तो सोच ही रखा है कि सरकार की हर कदम पर किर किरी कराई जाए, इनमें और भी मिले हुए हैं। जानकारी मिली है कि दिल्ली तक भी खुफिया जानकारी भेज दी गई है कि राजस्थान में अपनों से ज्यादा परेशानी हो रही है।
 किरोड़ी की चुप्पी।
कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा दो बड़े मामले उठाकर पीछे हो गए हैं पहला एस आई भर्ती परीक्षा और दूसरा फोन टैपिंग। यह दोनों मामले सरकार के बाद में भी सर दर्द बन रहे मामलों से बैक आउट करने के कारण किरोड़ी लाल मीणा की भी किरकिरी हुई है। पर उन्हें जानने वाले मान रहे हैं कि समय बलवान है इसलिए किरोड़ी लाल चुप हो गए हैं लेकिन उनका संघर्ष किसी न किसी रूप में आने वाले समय में सरकार के लिए परेशानी पैदा करेगा क्योंकि सबूत इकट्ठा करने में उनकी मास्टरी जो है।
 मैडम का जलवा ।
राजस्थान में 1 साल पहले वसुंधरा राजे की परछाई से भी भाजपा के नेता दूर भाग रहे थे अब हाल यह है कि नेता उनकी परछाई को भी नमस्कार कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि मैडम की दिल्ली में ताजपोशी तय है मैडम ने भी पूरा मन वहां का बना रखा है पर कहा जा रहा है कि राजनीति है कहीं कुछ भी हो सकता है। उनके समर्थक और भाजपा की नेता मान रहे हैं कि जो भी होगा अच्छा होगा और राजस्थान की भाजपा और जनता को लाभ मिलेगा।
अपनी डफली अपना राग।
विधानसभा में प्रतिपक्ष के रूप में कांग्रेस की मजबूत स्थिति है लेकिन परेशानी यह है कि अधिकांश नेता इस अंदाज में है कि अपनी डफली अपना राग। कुछ वरिष्ठ हैं कुछ बड़े पदाधिकारी हैं कुछ बड़े नेता हैं इसलिए कैसे किसी की बात मान ले, इसी के चलते सरकार की घेराबंदी सही तौर तरीके से नहीं हो पा रही है जबकि सरकार के खिलाफ पग़  पग पर आरोप है, जनता की परेशानी है, मुद्दे हैं , राज्य के हालात हैं पर हमला सुचारू और एक साथ नहीं होने के कारण कांग्रेस की हवा निकल जाती है। इंदिरा गांधी को दादी बताने वाला मामला क्या गुल खिलाएगा और एकता कैसे बनेगी यह आने वाला समय बताएगा लेकिन इतना तय की यदि एकता आ गई तो भजनलाल सरकार की कई रूप से परेशानी तय है।
 बाजी पलटने की कोशिश
राज्य के एक-मंत्री नित नई मुसीबत सरकार के लिए पैदा कर रहे हैं गड़बड़ी को लेकर उनकी कई शिकायत दिल्ली जयपुर तक पहुंच गई है पुलिस अधिकारी उनके द्वारा हिस्ट्रीशीटर की मदद की बात कहने की शिकायत कर चुके हैं खुद मंत्री जी का पर्ची की सरकार का वीडियो वायरल हो चुका है और अब विधानसभा में उनके बयान के कारण हुड़दंग मच रहा है। जानकारों की माने तो विस्तार में उनकी विदाई तय है इसीलिए फैसला बदलाने के चक्कर में वह यह सब कर रहे हैं ताकि फैसला बदल सके।
 नई पारी ।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ अब चुने हुए अध्यक्ष हो गए हैं पहले मनोनीत थे इसलिए दबकर भी काम कर रहे थे, अब वह कैसे काम करेंगे इस पर सबकी नजर लग गई है क्योंकि भाजपा में हमेशा संगठन सत्ता से बड़ा रहता आया है अपनी ताकत को उन्होंने पहचान लिया तो कार्यकर्ताओं का भला हो जाएगा वरना तो सरकार में बैठे मंत्री विधायक अपने से ही ऊपर नहीं उठ पाएंगे क्योंकि हर सरकार में ऐसा ही होता आया है और कार्यकर्ताओं की नाराजगी का परिणाम चुनाव में पार्टी को उठाना पड़ता है।
प्रदीप लोढ़ा

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