मां की चिट्ठी ।
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मैं बिल्कुल ही अकेली पड़ गई हूं,
घर में हर पल तेरी याद सताता है
इसलिए वृद्धाश्रम में रहने लगी हूं ।
कई खत तुझे लिख कर थका गई
याद में तेरे आंसू बहाती रहती हूं,
एक तू है जो मुझे भूल चुका है
क्या कहूं घूट-घूट के जी रही हूं ।
हम-उम्र के वृद्धाएं ही अब साथी है मेरा
इन्हीं के साथ मन बहला लिया करती हूं,
ना जाने क्यों तेरे आने की प्रतीक्षा में
हर पल मुख्य द्वार पर ताकतीं रहती हूं।
मेरे बेटे हाथ जोड़कर विनती है तुझसे
अब अधिक इंतजार कर नहीं सकती हूं,
मेरी अंतिम ख्वाहिश पूरी कर देना तू
मैं मरने से पहले तुझे देखना चाहती हूं
मैं मरने से पहले तुझे देखना चाहती हूं।
गोपाल नेवार,’गणेश’सलुवा, खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल। 9832170390.