जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर एवं क्रूर आतंकी हमले से सारा देश गम एवं गुस्से में दिख रहा है, वही मोदी सरकार इस बार आर-पार के मूड में दिख रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ( सीसीएस ) की बैठक के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े और कड़े फैसले लेते हुए पाकिस्तान पर शिकंजा कसा है, जिससे वह डरा है, सहमा है, घबराया है। इन पंच शिकंजों में 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, राजनयिक मिशन की संख्या घटाई जाएगी, पाकिस्तानी सैन्य राजनयिकों को एक हफ्ते में भारत छोड़ना होगा, पाकिस्तानियों के लिए सार्क वीज़ा रद्द कर दिया गया है और अटारी बॉर्डर को भी तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। ये कदम जहां आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी नीति को दर्शाते हैं वहीं पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने का एक डिप्लोमैटिक स्ट्राइक है, जबकि भीतर-ही-भीतर किसी बड़ी कार्रवाई से इंकार नहीं किया जा सकता। सीमा पार आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाने और भारत की सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में मोदी सरकार से अभी अधिक सख्त कार्रवाई की अपेक्षा है और आशा की जा रही है कि सरकार जनता की अपेक्षाओं से भी दो कदम आगे इस बार बदला लेगी। इस बार की तांडवी टंकार एवं हुंकार पाकिस्तान की न केवल कमर तोड़ देगी, बल्कि उसके नापाक मनसूंबों को हमेशा के लिये नेस्तनाबूद कर देगी। पाकिस्तान ने अब तक भारत की शांति एवं सहयोग भावना को देखा है लेकिन अब हिंसा के लिये हिंसा की खनकार देखेगा। निर्दोषों की हत्या करन वालों, विश्वासघात का मार्ग अपनाने वालों एवं निहत्थों पर कहर बरपाने वालों को अब पता लगेगा कि धर्म एवं शांतिवादियों की ताकत क्या होती है?
पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के एक संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने निर्दोष पर्यटकों पर किये गये इस कायरतापूर्ण हमले की जिम्मेदारी ली है। इस दुखद घटना ने वर्ष 2008 में दुस्साहसपूर्ण ढंग से मुंबई और भारत को हिलाकर रख देने वाले लश्कर-ए-तैयबा द्वारा रचे गए नरसंहार की याद दिला दी है। यह महज संयोग नहीं कि यह हमला 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण और पाक सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के भारत विरोधी बयान के बाद हुआ। यह हमला पाकिस्तान की अब तक की सबसे बड़ी भूल एवं अमानवीयता एवं पाशविकता का घिनौना कृत्य बना है। मुनीर ने कश्मीर को अपने देश की ‘गले की नस’ बताया लेकिन यही नस अब पाकिस्तान का सर्वनाश करेंगी, उसको कड़वे घुंट पीने को विवश करेगी। दाने-दाने को तरसता पाकिस्तान अब त्राहि-त्राहि करते हुए तबाही के कगार पर पहुंचेगा। एक ओर जहां बलूच विद्रोह ने मुनीर व सेना की नींद उड़ा रखी है, अब भारत उसकी नींद ही नहीं, सुख-चैन भी छीन लेगा। गैर मुस्लिमों को निशाना बनाना और वह भी अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी.वेंस की भारत यात्रा के दौरान- यह स्पष्ट करता है कि आतंकवादियों व उनके आकाओं ने भाजपा के नेतृत्व वाली मोदी सरकार को चुनौती दे दी है, सीधे-सीधे ललकारा है। मोदी सरकार को सस्ते में लेने की भूल के परिणाम पाकिस्तान पहले भी भुगत चुका है, उरी (2016) और पुलवामा (2019) की तरह पहलगाम हत्याकांड में बहा निर्दोषों का रक्त व्यर्थ नहीं जायेगा। जिस तरह श्रीकृष्ण को आसूरी शक्तियों के खिलाफ महाभारत रचना पड़ा, उसी तरह मोदी पाकिस्तान के आतंकवाद के खिलाफ कोई बड़े युद्ध की संरचना करके हमेशा के लिये आतंकवाद का सर्वनाश करेे।
पहलगाम हत्याकांड के बाद न केवल समूचे देश में बल्कि कश्मीर घाटी में पहली बार गहरा आक्रोश देखने को मिला है। घाटी में 35 साल बाद पहली बार आतंकी हमले के खिलाफ बंद का आयोजन किया गया है। बुधवार को बंद के आह्वान के बाद श्रीनगर में अधिकांश व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे। लोग सड़कों में दुख और आक्रोश व्यक्त करते नजर आए और कहा कि यह घटना कश्मीर की अतिथि और शांति की भावना के साथ विश्वासघात है। यह घटना कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर कुठाराघात है। यह कश्मीर की शांति को लीलने की कुचेष्ठा है। लश्करे-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन के इस हमले का मकसद पर्यटकों में खौफ पैदा करना और घाटी में सामान्य स्थिति की वापसी को रोकना था। यहां उल्लेखनीय है कि बीते साल जम्मू-कश्मीर में पैंतीस लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे थे। लेकिन पहलगाम जैसी जगह में जहां सत्तर फीसदी लोगों की आजीविका पर्यटन से जुड़ी है, वहां स्थिति सामान्य होने में अब लंबा वक्त लगेगा। आने वाले दिनों के लिये पर्यटकों ने अपनी यात्राएं रद्द कर दी हैं।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में काफी बदलाव आया था। आतंकवाद लगातार सिमट रहा था, शांति का उजाला हो रहा था। वादियां की रौनक बढ़ी और बाजार गुलजार हो उठेे थे। श्रीनगर के लालचौक पर मिलजुल कर त्यौहार मनाए जाने लगे थे। बागों में ट्यूलिप के फूल खिल उठे थे। बर्फ की वादियों में मंद-मंद शीतल हवाओं से चिनार के पेड़ झूमने लगे थे। जो देश एवं दुनिया के असंख्य पर्यटकों को खींच रहे थे। उम्मीदें बंध गई थीं कि एक न एक दिन आतंकवाद मुक्त जम्मू-कश्मीर नई सुबह देखेगा लेकिन बढ़ते पर्यटक और मजबूत होती अर्थव्यवस्था पाक को रास नहीं आई। पहलगाम के भयावह हमले ने एक बार फिर सबको खौफजदा कर दिया। जम्मू-कश्मीर में शांति, सौहार्द और विकास पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं को नागवार गुजर रहा था। इसलिए पाकिस्तान की सेना, सेना प्रमुख तौकिर मुनीर, उसकी खुफिया एजैंसी आईएसआई और आतंकवादी संगठनों ने मिलकर ऐसी साजिश रच डाली, जिसने उनके धर्म को धुंधलाने एवं शर्मसार करने के साथ पाकिस्तानी इरादों को भी बेनकाब कर दिया।
पाकिस्तान को जवाब देने की तैयारी व्यापक स्तर पर हो रही है, लेकिन प्रश्न यह है कि क्या भारत ऐसी कोई बड़ी कार्रवाई कर सकेगा, जिससे वह सही रास्ते पर आ जाए? पहलगाम का आतंकी हमला भारत की चेतना और उसकी अस्मिता पर किया गया भीषण हमला है। इस हमले के द्वारा भारत को ललकारा गया है। अब पाकिस्तान को उसी की भाषा में सबक सिखाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार होना ही चाहिए। यदि युद्ध अपेक्षित हो तो उसे भी अंजाम देना चाहिए। उसकी परमाणु हमले की धमकियों से आखिर कब तक डरा जायेगा? इसी के साथ इस पर भी मंथन हो कि आखिर पहलगाम में आतंकी इतनी आसानी से इतने लोगों को मारने में सफल कैसे हो गए? सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ एवं सक्रियता जारी थी। ऐसे में भारत सरकार, सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों को और सतर्क रहना चाहिए था। यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि कश्मीर में जब बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे थे, तब वहां जैसी चौकसी बरती जानी चाहिए थी, उसका अभाव क्यों देखने को मिला?
जिस तरह से धर्म और नाम पूछकर आतंकवादियों ने हिन्दुओं का नरसंहार किया उससे समूचा राष्ट्र आक्रोश में है। भारत की बेटी जिस की हाथों की मेहंदी का रंग भी अभी फीका नहीं हुआ था और तीन दिन पहले ही उसकी शादी हुई थी, उसकी अपने पति भारतीय नौसेना के लेफ्टीनेंट विनय नरवाल के शव के साथ तस्वीर देखकर समूचे देश का दिल दहल गया। हैदराबाद के आईबी अधिकारी मनीष रंजन को पत्नी और बच्चों के सामने मार दिया गया, ऐसे ही दर्दनाक दृश्य चारों ओर बिखरे थे। यह हमला वैसा ही जैसा हमास के आतंकवादियों ने इजराइल पर किया था। आज समूचा राष्ट्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ खड़ा है। हर देशवासी चाहता है कि पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जाए जैसा इजराइल ने हमास को सिखाया है। बहरहाल, इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद केंद्र सरकार ने युद्धस्तर पर कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार में तीव्र गर्जना करते हुए पाकिस्तान को सबक सिखाने का संकल्प व्यक्त किया है। गृहमंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के आगे घुटने न टेकने की बात कहीं है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमलावरों को यथाशीघ्र कड़ा जवाब दिया जाएगा। लेकिन अब घाटी की उन आवाजों को भी बुलंद करना चाहिए जिन्होंने हिंसा को खारिज करके मानवता, देश की एकता एवं घाटी की शांति को चुना है।
प्रेषकः
(ललित गर्ग)
लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
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