मेरी मां के चरण वंदन का दिन…. मदर्स डे

dr. j k garg

दुनियां का पहला प्रेम——- मां,  सब से कीमती वरदान—– मां, धरती पर भगवान की कहानी—मां,

खुशीयों के बाग़ की बागवान—-मां, खुशीयों के अनमोल खजानेकी राह–मां, प्यार एवं डांट का खट्टा-मीठा खेल—मां |
तू जन्नत का फूल है, प्यार करना उसका असूल है | दुनियां की मोहब्बत फजूल है, मां की हर दुआ कबूल है, मां को नाराज करना इन्सान तेरी भूल है, मां के कदमों की मिट्टी जन्नत की धूल है | ……..अज्ञात
किसी ने मां के कंधें परसर रख के पूछा मां कब तक अपने कंधों पर सोने दोगी ? मां ने कहा जब तक लोग मुझे अपने कंधें पर न उठा लें |………..अज्ञात
कोन सी है वो चीज जो यहाँ नहीं मिलती | सब कुछ मिलता है लेकिन मां नहीं मिलती |
मां ऐसी चीज होती है दोस्तों जो जिन्दगी में फिर नहीं मिलती खुश रक्खा करो उस मां को फिर देखों जन्नत कहाँ नहीं मिलती |
मत कहिये मेरे साथ रहती है मां, कहिये कि मां के साथ रहते हैं हम |
मैं जो कुछ भी हूँ या होने की आशा रखता हूँ उसका श्रेय मेरी माँ को जाता है .मुझे एक ऐसी माँ के साथ बड़े होने का मौका मिला जिसने मुझे खुद में यकीन करना सिखाया .मुझे पूरा भरोसा है की अगर सारे देशों की माएं मिल पातीं तो और युद्ध नहीं होते .ज़िन्दगी उठने और माँ के चेहरे से प्यार करने के साथ शुरू हुई .जिस घर में माँ होती है, वहां चीजें सही रहती हैं——–अज्ञात
किसी ने कहा कि अच्छे कर्म करोगे तो मरने के बाद स्वर्ग मिलेगा और में कहता हूँ कि मां की सेवा करोगे तो जीते जी स्वर्ग मिलेगा——अज्ञात
मुझे चाँद कहती थी मां, सदा चूमती रहती थी मां, मै खुश रहूँ इस लिये सारा दुःख सहती थी मां, होती थी सर्दी मगर मेरे कपड़ें धोती थी मां——अज्ञात
मैं जो कुछ भी हूँ या होने की आशा रखता हूँ उसका श्रेय मेरी माँ को जाता है .
मेरी माँ का दिल बहुत बड़ा था, इतना बड़ा की उसमे सबके दुःख और खुशियाँ समां जाती थी…
जब भी याद आती है ममता मेरे आगन की, दिल खुश हो जाता है मत पूछो मेरे मन की !
वो माँ का प्यार वो माँ का दुलार, याद आता है मुझे वो सब बार बार,
वो बचपन मे माँ का खाना खिलाना प्यार से बालों को सवारना !
यारो अब मै कैसे बताउ बाते अपने जीवन की ,
दिल खुश हो जाता है मत पूछो मेरे मन की ! मत पूछो मेरे मन की…………..अज्ञात
“माँ” तेरे दूध का हक मुझसे अदा क्या होगा l तु है नाराज तो, खुश मुझसे “खुदा” क्या होगा l…..अज्ञा
माँ भगवान से भेजा गया एक फरिस्ता है———————-अज्ञात
भगवान्  सभी  जगह  नहीं  हो  सकते  इसलिए उसने मां बनायीं .———रुडयार्ड किपलिंग
मैं  जो  कुछ  भी  हूँ  या  होने  की  आशा  रखता  हूँ  उसका  श्रेय  मेरी  माँ  को  जाता  है .———अब्राहम लिंकन
 मातृत्व : सारा  प्रेम  वहीँ  से  आरम्भ  और  अंत  होता  है .
कला  की  दुनिया  में  ऐसा  कुछ  भी  नहीं  है  जैसा  की  उन लोरियों में  होता  था  जो  मां गाती  थीं .——–बिली संडे
यकीनन  मेरी माँ  मेरी  चट्टान है |
8 मार्च 2025 को उल्लास और माँ के सम्मान दिवस के रूप में मनाये  याद रक्खे जो भी सफलता आपने प्राप्त की है वो आपकी माँ की अमूल्य शिक्षा Lmao संस्कार की वजह से ही है | माँ अपने जीवन काल में बेटी पत्नी  पुत्र वधु एवं  सास की भी भूमिका सफलता पूर्वक निभाती है  |
माँ के चरणों में शत शत प्रणाम |
 डॉ जे के गर्ग
पूर्व संयुक्त निदेशक कालेज शिक्षा  जयपुर
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