
संयुक्त परिवार होता था,
अब परिवार का अर्थ
सीमित परिवार हो गया है।
पहले संयुक्त परिवार मिलकर
एक छत के नीचे रहते थे,
अब सीमित परिवार प्रायः
एकल जीवन जी रहे है।
पहले संयुक्त परिवार में
अपनत्व का भाव होता था,
अब सीमित परिवार में
अपनत्व का भाव खो रहा है ।
पहले मोबाइल न होने से
हैप्पी परिवार दिवस भेजते नहीं थे,
अब मोबाइल पर यह लिखकर
परिवार से दूर होते जा रहे हैं।
संयुक्त परिवार और सीमित परिवार पर
गहराई से आत्ममंथन करना होगा हमें,
हो सके तो पश्चिमी संस्कृति को दूर दफनाकर
संयुक्त परिवार को जीवित रखना होगा हमें ।
गोपाल नेवार, गणेश, सलुवा खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल। 9832170390.