पिता से दूर दुःखी बेटी

मां तू शिक्षित हैं, मां तू बुद्धिमान हैं
फख्र है मुझे तुझ पर मैं तेरी बेटी हूं,
दुनिया की सारी खुशियां दी है मुझको
पर हरदम मैं दुखित हो जाती हूं।
मां तलाक़ देकर तू अलग तो हो गई हो
पर मैं पिता के प्यार से वंचित हो गई हूं,
जब कभी पिता की बहुत याद सताती है
तो सोच-सोच कर मैं दुखित हो जाती हूं।
जो प्यार, खुशी पिता से मुझे मिलना था
उन सारी प्राप्त अधिकार को खो चुकी हूं,
मां मैं दोष तुम्हें दूं या अपनी तकदीर को
इन्हीं बातों में उलझकर मैं दुखित हो जाती हूं।
मां तू ही बता क्या ये मेरे कर्मों का फल है
जो इस जन्म में संकट को भोग रही हूं,
क्या भविष्य में पिता का प्यार मिल पाएगा?
इन्हीं उधेड़बुन में ही मैं दुखित हो जाती हूं।
हरगिज़ करना ना पिता से दूर मुझको,
मां हाथ जोड़कर विनती तुझसे करतीं हूं,
मां मेरी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी पीड़ा यही है
पिता से दूर रहकर मैं बहुत दुखित रहती हूं।
पिता से दूर रहकर मैं बहुत दुखित रहती हूं।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’सलुवा, खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर, पश्चिम बंगाल।  9832170390.
error: Content is protected !!