
एक धोबी का गधा था और एक कुम्हार का गधा था। दोनों दोस्त थे। एक बार काफी दिनों बाद रास्ते में दोनों मिल गये। दुआ-सलाम के बाद कुम्हार के गधे ने धोबी के गधे से पूछा “और क्या हाल चाल है दोस्त? ” तो धोबी के गधे ने जवाब दिया कि सब ठीक ही है। तुम सुनाओ, तुम्हारा क्या हाल है? तब कुम्हार के गधे ने बतलाया कि ठीक चल रहा है। सुबह उठते ही कुम्हार घडें लाद देता है और मारते मारते हाट ले जाता है। दिन भर वहां बेवकूफों की तरह खड़े रहते है और सांयकाल होते ही कुम्हार बचे खुचे घडें लादकर मारते मारते वापस लाता है, और रूखा सूखा भूसा खाने को डाल देता है। जैसे तैसे जिन्दगी कट रही हैं। तुम सुनाओ तुम्हारा क्या हाल है? तब धोबी के गधे ने कहा कि मुझें भी सुबह पहले धोबी मैले कपडों से लाद देता है और मारते मारते घाट पर ले जाता है। वहां दिन भर इधर उधर चरते रहते है। शाम होते ही धोबी गीले-सूखे कपड़ें मुझ पर लादकर मारते मारते वापस लाता है और खाने को तुस ( गधे का भोजन) डाल देता है। क्या बताऊं यार, बड़ी मुश्किल में जिन्दगी कट रही हैं।