शिक्षकों या अधिकारियों को निलंबित करना उनके मासूम को वापस नहीं लौटा सकते

बिना किसी भूमिका के सीधे में मुद्दे पर लिखना चाहता हूं कि सोशल मीडिया में इस विषय पर अनेक विद्वानो के विचारों की बाढ़ आई हुई है। इस हादसे ने जन-मानस को हिला दिया है।  *जिन परिवार के मासूमो को मौत ने छीन लिया उनका अकल्पनीय दुःख वे ही जान सकते हैं।  मुआवजा, संवेदना,श्रद्धांजलियां, शिक्षकों या अधिकारियों को निलंबित करना उनके मासूम को वापस नहीं लौटा सकते।*
कहीं भी *इस तरह की घटनाएं और न हों इस पर कदम उठाने की आवश्यकता है*।
कोई भी सरकारी भवन बनता है।तो अक्सर यह होता है कि ठेकेदार अपनी कमाई के लालच में घटिया सामग्री लगाते है। ठेकेदार भी अकेला जिम्मेदार नहीं हैं
उस क्षेत्र के संबंधित  छोटे -मोटे जनप्रतिनिधि, छुटभैया कथित नेता,JEN ,विधायक सांसदों तक सब उस भवन निर्माण राशि में *बंदरबांट का हिस्सा* लूटने में लग जाते हैं । बंदरबांट और घटिया सामग्री की कोई शिकायत करे तो *चोरों का बहुमत* होता है जिससे शिकायतकर्ता अलग थलग पड़ जाता है।
बेचारे *शिक्षकों को दोषी ठहराना उचित नहीं* होगा। इसके साथ ही शाला विकास *समिति की जिम्मेदारी* भी तय करनी होगी।SMC में सदस्य बनने के लिए तो लालयित होते हैं। विधायक सांसद की अनुशंसा लाते हैं।जिम्मेदारी से कैसे भाग सकते ?
क्या बंदरबांट में शामिल होने या  माला साफ़ा के लिए SMC सदस्य बनते?
अगर ऐसा ही होगा तो निर्माण घटिया और हादसे ही होंगे।
केंद्रीय मंत्री अजमेर लोकसभा सांसद *श्री भागीरथ चौधरी  तारीफ योग्य है कि उन्होंने अपने क्षेत्र में करीब दर्जन भर सड़कों के लोकार्पण की पूरी तैयारिया होने के बावजूद इसलिए मना कर दिया कि उन्हें सड़कों का निर्माण घटिया होने की जानकारी मिली*। चौधरी ने सड़क निर्माण कार्य पर लीपापोती और लोकार्पण का फीता काटने के बजाय  जांच करवाना और दोषियों पर कार्रवाई का निर्णय लिया।जो  अनुकरणीय  है।
विद्यालय के अलावा अन्य सरकारी भवनों अजमेर JLN तथा ब्यावर अमृत कौर अस्पताल सहित सेंकड़ों जगहों पर इस बरसात में छत का प्लास्टर आदि गिरने की घटनाएं हुई हैं। इनके लिए ठेकेदार,Jen स्थानीय नेता का भ्रष्टाचार सभी  जिम्मेदार है।
प्रत्येक सरकारी भवन निर्माण या मरम्मत के लिए *स्थानीय और ईमानदार  गैर राजनीतिक लोगों को  समिति बना कर ठेकेदार के काम की निगरानी रखनी  तथा संबंधित की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए।* प्रशासनिक अधिकारी तो आज यहां कल वहां ट्रांसफर हो सकतें हैं लेकिन स्थानीय लोगों को तथा उनकी संतानों हमेशा वही रहना है इसलिए  स्थानीय लोगों अपने तथा अपने परिवारों के भविष्य तथा सुरक्षा के लिए जागरूक और जिम्मेदार बनना चाहिए।
हादसा होने के बाद जांच बैठाना ये सब सरकारी चोंचलेबाजी दशकों से चल रही है जिससे कोई समाधान नहीं है। *सेंकड़ों वर्षों पूर्व बनी ऐतिहासिक इमारतें आज़ भी मजबूती से खड़ी हैं लेकिन मात्र कुछ माह या वर्ष पहले बनी इमारतें क्यों टूट कर  लोगों की जान ले लेती है ?* इसका एक मात्र कारण भ्रष्टाचार ही है। नेताओं को चुनाव लडने का फंड तथा जन्मदिन पर बड़े-बड़े विज्ञापन इन ठेकेदारों के माध्यम से ही आते है। नेता की लोकप्रियता इन विज्ञापनों से नहीं। आमजन के लिए गुणवत्ता वाले कामों से ही लोगों के दिलों में जगह बनाई जा सकती है।
*हीरालाल नाहर पत्रकार*
“चिंतक व लेखक”
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