सूक्ष्म लेखन और हस्तकला में महारत प्राप्त है, वयोवृद्ध साध्वी धनश्री जिन्होंने तेरापंथ धर्म संघ में अणुव्रत अनुशास्ता आचार्य तुलसी से अल्पवय में दीक्षित होकर अभी 93 वर्ष की अवस्था में भी स्वाध्याय और धार्मिक कार्य मैं सक्रिय है। महज 13 वर्ष की अल्प आयु में 80 वर्ष पूर्व दीक्षित साध्वी धनश्री जी अभी हाल में

अजमेर अणुव्रत समिति के अध्यक्ष बी एल सामरा ने तेरापंथ भवन में साध्वी प्रमोद श्री जी के सम्मुख उनसे चर्चा की। साध्वी धन श्री जी के अनुसार उनका जन्म 93 वर्ष पूर्व धनतेरस के दिन राजस्थान के सरदारशहर में हुआ था और संयम अंगीकार करने के पश्चात साध्वी के रूप में वे इससे पूर्व 80 चातुर्मास देश के विभिन्न स्थानों पर कर चुकी हैं,जिसमें राजस्थान के अतिरिक्त मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश,हरियाणा,दिल्ली,पंजाब सहित सात विभिन्न राज्य सम्मिलित है। अपने धार्मिक यात्रा क्रम में सवा लाख किलोमीटर से ज्यादा की यात्रा कर चुकी है। इन्हें सूक्ष्म लेखन मे महारत हासिल है। उनकी दिनचर्या में सात आठ घटे स्वाध्याय और अन्य धार्मिक कार्य सम्मिलित हैं। वे स्वस्थ हैं तथा अपने सभी कार्य स्वयं करती हैं और किसी प्रकार की दवा का नियमित उपयोग नहीं करती तथा शुगर बीपी इत्यादि बीमारी से भी दूर है। उनके अपने निरोगी जीवन का रहस्य अल्पाहार,खाद्य संयम और वाणी संयम के साथ एकाग्रता और शांत चित के साथ संयम की साधना तथा स्वावलंबी जीवन ही उनके निरोगी जीवन का रहस्य है। उन्हें कलात्मक साधना और सूक्ष्म चित्रण और लेखन में महारत हासिल है। अपनी दिनचर्या मे स्वावल्मबन के अपने कार्य स्वयं करना,अपने पहनने के वस्त्र स्वयं स्वयं तैयार करना तथा कला साधना एवं हस्त कौशल द्वारा अनेक कलाकृति और उपयोगी वस्तुओं का स्वयं निर्माण जैसे नारियल के कवच से उपयोगी पात्र तथा बहुत छोटी-छोटी खरड़,और चश्मे इत्यादि का निर्माण स्वयं किया है। इतना ही नहीं केवल धागे के प्रयोग से माला के मणके तैयार कर उनसे माला भी तैयार की है,जिसको देखने वाला भी चकित होकर दांतो तले अंगुली दबाने को विवश हो जाता है। वयोवृद्ध साध्वी श्री की कला साधना के आगे नतमस्तक होकर,उनकी दीर्घायु की कामना के साथ वंदन नमस्कार कर उनके आगे की संयम यात्रा की मंगल कामना करते हुए हस्त कौशल और संयम साधना की बारम्बार अनुमोदना ।
आलेख
*बी एल सामरा*
अध्यक्ष अणुव्रत समिति,अजमेर