(जब हम अपने परिवार की नई पीढ़ी को राष्ट्रीय धर्म के मूल्यों का बोध कराएंगे, तभी उनमें स्वाभिमान के भाव पैदा होंगे। बच्चों में राष्ट्रधर्म के संस्कार पैदा करने के लिए श्रमण डॉ पुष्पेंद्र ने ये विचार साझा किए…)

राष्ट्रीय प्रतीक, संस्कृति, सभ्यता और जीवन दर्शन का सम्मान किसी भी देश के नागरिकों का धर्म भी है और कर्तव्य भी। वर्तमान पीढ़ी में देश की गरिमा और स्वाभिमान के भाव का सख्त अभाव देखा जा रहा है। देश के कर्णधारों के हृदय में अपनी जन्मभूमि व भारत भूमि के प्रति जो नैसर्गिक स्वाभिमान होना चाहिए उन संस्कारों की अनुपस्थिति विचारणीय और चिंताजनक मसला हो गया है। – सवाल यह है कि राष्ट्रधर्म के संस्कार, से नई पीढ़ी अनजान और विमुख क्यों है?
अकसर हम देखते हैं कि कोई बच्चा चाहे किसी भी धर्म या संप्रदाय के परिवार में जन्मा हो, छोटी उम्र से ही अपने धर्म के तौर तरीके सीख जाता है। इन बातों की पैठ अवचेतन मन में इतनी गहरी हो जाती है कि जीवन भर वह उन्हें नहीं भूलता। इसका सबसे बड़ा कारण है परिवार के सदस्यों, बड़े- बुजुर्गों की ओर से बच्चे को यह सब सिखाया जाना है। उसके अंतर्मन में अपने धर्म-दर्शन और पारिवारिक संस्कारों का बीजारोपण बचपन में घर-परिवार के सदस्य करते हैं। उसका प्रभाव इतना गहरा होता है कि वह सदैव के लिए उनके प्रति समर्पित हो जाता है।
उसी तरह राष्ट्रहित की सोच के दिव्य बीज घर से ही बच्चों के मन मे बोए जाएं तो यह भाव उनके व्यक्तित्व में पूरी तरह समाहित हो जाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि दादी नानी मातृभूमि के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वाली महान विभूतियों की कहानियां सुनाएँ, उनके रोचक व ऐतिहासिक प्रसंगों को समझाएँ कि किस प्रकार कितनी भी कठिन परिस्थितियों के समक्ष भी उन्होंने अपने धर्म व मातृभूमि के लिए समझौता नहीं किया अपितु धर्म के लिए अपना शीश कटवाने के लिए भी तैयार हो गए।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परिवारों में देश के नाम सिर्फ शिकायतों और आलोचनाओं की बात न हो। सकारात्मक विचारों के साथ बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनने और अपने कर्तव्यों के प्रति प्रतिबद्धता की भी सीख घर से ही दी जाए। रोजमर्रा के जीवन में शामिल यह छोटे-छोटे बदलाव बच्चों की सोच की दिशा मोड़ने में काफी अहम साबित हो सकते हैं। अपने परिवार की नई पीढ़ी को राष्ट्रधर्म के मूल्यों का बोध कराना हर परिवार की जिम्मेदारी है क्योंकि यही जीवन मूल्य उनमें भारतीय होने के गौरव और स्वाभिमान के पैदा करेंगे।