नेम प्लेट की महिमा

हास्य-व्यंग्य
shiv shankar goyal

अभी तक तो नाम की महिमा ही सुनते आएं थे. मसलन राम से बडा है राम का नाम आदि, आदि लेकिन अब यह देखने में आया कि नाम से भी ज्यादा महिमा तो नेमप्लेट की हैं. चंद बातों से आप भी मान जायेंगे –

वर्षों पहले की बात हैं. किशोरावस्था में सुबह के समय घूमने जाते वक्त एक पुराने जर्जर मकान के, जिसकी सीढियां सडक पर खुलती थी और जहां एक टाट (बोरी का टुकडा) लटका रहता था, वहां दरवाजे पर पुट्ठे(कार्डबोर्ड) की नेम प्लेट भी लटकी रहती थी जिस पर नाम लिखा रहता था लॉर्ड चंदूराम. नेमप्लेटपर लिखे नाम और टाट के पर्दें में सामन्जस यानि अधिक मेल न देखकर मन में अकसर जिज्ञासा होती थी कि कभी लार्ड साहब से मिला जाय.
एक रोज हिम्मत करके, सीढियां चढकर ऊपर गया. वहां खुली छत पर एक खाट पर प्रौढावस्था के सज्जन लेटे हुए थे. मुझें देखते ही उठकर बैठ गए. मैंने बिना कोई औपचारिकता निभाये पूछ लिया. आपने नेम प्लेट पर लॉर्ड लिखवा रखा है, इसका क्या आशय है ? मुस्कराते हुए उन्होंने जवाब दिया, यहां आने से पहले जहां रहते थे, वहां हम लेंड-लार्ड कहलाते थे. यहां आएं तो लेंड वही छूट गया. अब नाम में सिर्फ लार्ड  बच गया, वही लिखा हैं.
एक बार जब मेरी पोस्टिंग गांधीधाम, गुजरात में थी वहां अजमेर निवासी मेरा एक मित्र भी रहता था. एक बार छुट्टियों में अजमेर आना हुआ तो उस मित्र ने अपने घर के लिए मुझें कुछ सामान दिया.(उन दिनों यह सामान्य बात थी) जब मैं उसके घर गया तो वहां मैंने दरवाजे पर नेमप्लेट लगी देखी जिस पर लिखा था राजू केशवानी(बदला हुआ नाम) A.M.I.E. यह डिग्री Bachelor of Engineering  के बराबर मानी जाती है और किसी भी इंजीनियरिंग ब्रांच का डिप्लोमा पास व्यक्ति, कुछ Written Papers के examination देकर, इसे बिना किसी कॉलेज में गए पास कर सकता हैं.
वापिस लौटकर मैंने अपने मित्र से इस नेमप्लेट के बाबत पूछा तो उसने मुस्कराते हुए बताया कि राजू मेरा छोटा भाई है और उसने अभी तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में admission लिया ही है. उसका ईरादा भविष्य में कभी A.M.I.E पास करने का हैं.
बीकानेर में नौकरी के दौरान हमारे पडौस में एक नवयुवक रहता था जिसने अपने घर के गेट पर C.T.O के नाम से नेमप्लेट लगा रखी थी. वह अकसर गली के बच्चों के साथ गोली-कंचों का खेल खेलता मिलता था. जिज्ञासावश एक बार दूसरें पडौसी से पूछने पर पता लगा कि वह किसी सरकारी प्रायमरी स्कूल में टीचर हैं. मेरे द्वारा यह कहने पर कि उसने अपने मकान पर तो C.T.O की नेमप्लेट लगाई हुई है, उसने बताया कि वह अपने आपको Children Teaching Officer कहता है और इसी आशय की प्लेट लगा रखी हैं.
उसी गली में हमारे सामने वालें मकान में कोई माथुर साहब रहते थे जो नॉर्दन रेलवे में ट्रेसर के पद पर काम करते थे. उन्होंने अपने घर पर नेमप्लेट लगा रखी थी ….माथुर, F.R. C. T. S (London). यह क्या  Qualification है यह बात ना तो किसी ने उनसे पूछी ना ही उन्होंने किसी को बताई. सारी महिमा नेमप्लेट ही बता देती थी.
अजमेर में Rajasthan Public Service Commission का दफ्तर हैं. एक बार उसके Chairman के  P.A बापू नगर में रहने को आएं. उन्होंने अपने मकान पर निलिखित तरीकें से एक बडी नेमप्लेट लगाई
 Om Prakash Sharma
 pa to
 Chairman, R.P.S.C, Ajmer.
 श्री ऑम प्रकाशजी का आशय तो आप समझ ही गए होंगे. “Pa to” इतने छोटे अक्षरों में है कि दूर से कम ही नजर आते हैं.
दिल्ली के फतेहपुरी ईलाकें में एक अधेड उम्र के व्यक्ति रहते थे जिन्होंने तरह तरह की कई यूनियन्स गठित की हुई थी. उनमें से कुछ का मोर्चा वह खुद संभाले हुए थे बाकी की कमान उन्होंने बेकारी के आलम में घूमते हुए अपने वयस्क लडकों को दे रखी थी यानि यूनियन्स के प्रेसीडेन्ट, सैक्रट्री की पोस्ट उनके हवाले थी. उन्होंने अपने घर को ही यूनियन्स का दफ्तर बनाया हुआ था. उनके घर के दरवाजे पर निम्न लिखित नेमप्लेट लगी हुई थी.
मंत्रियों से मिलने का समय
सुबह 9 से 11 बजे तक
सांय 5 से 7 बजे तक
हमारे मोहल्ले में एक श्री राम स्वरूपजी शर्मा रहते थे. वह स्थानीय कॉलेज में हिन्दी विभाग में अध्यापन का कार्य करते थे और हिन्दी साहित्य में एम.ए किये हुए थे. एक बार जब उन्होंने साहित्य के भक्तिरस में P. H. D करली तो उनके नाम के पहले डा. लगने लगा. इस आशय की नेम प्लेट भी उन्होंने लगाली. डा. राम स्वरूप शर्मा.
जैसे ही मोहल्ले वालों को इस बात का पता लगा कि अपने रामस्वरूपजी अब डाक्टर होगए है तो वह गाहे-बगाहे अपनी हारी-बीमारी यानि सर्दी-जुकाम, सिरदर्द-पेटदर्द आदि के ईलाज हेतु उनके पास आने लगे. मोहल्लें की कई महिलाएं तो अपने 2 बच्चों को गोद में लेकर ईलाज के लिए वहां आने लगी. शर्माजी लोगों को समझा समझा कर थक गए कि वह वो वाले डाक्टर नही हैं, दूसरे वाले डाक्टर है. लेकिन जब कोई असर नही हुआ तो थकहार कर उन्होंने अपनी नेमप्लेट ही हटाली.
प्राकृतिक चिकित्सा से प्रभावित होकर सिविल लाईन्स में एक श्रीरवीश गुप्ताजी पास-पडौस के लोगों की एक्यूप्रेशर चिकित्सा करने लगे. कुछ दिनों बाद वह अपने नाम के साथ डाक्टर भी लगाने लगे.कुछ कुछ मशहूर भी होने लगे. पहले वह पास में ही एक मकान के Ground Floor वाले हिस्सें मे रहते थे. बाद में वह उसी मकान के First Floor में चले गए और नीचे निम्नलिखित नेमप्लेट लगादी.
 डा. रवीश गुप्ता ^ (ऊपर गए)
अब जो भी कोई उनको पूछने आते तो वर्तमान में Ground Floor में रहने वाले उनको बताते कि गुप्ताजी अब ऊपर चले गए हैं. यह सुनकर कई तो अफसोस करने लगते कि ओह !  यह कब की बात है ? हमें तो पता ही नही पडा. अखबार में भी नही पढा. फिर उनको असलियत बताई जाती तो तसल्ली मिलती.
कुछ दिनों पूर्व समाचारपत्रों में खबर थी कि एक सज्जन ने अपने बंगलें में चार-चार फर्जी देशों के दूतावास खोल लिए और अपने आपको उनका राजदूत घोषित कर दिया. वह देश थे 1.Saborga 2.Poulvia 3. Lodina & 4.West Arctica. इतना ही नही उन्होंने इन देशों की यात्रा करने के इच्छुक लोगों से अच्छीखासी फीस के साथ आवेदन भी मांग लिए.
जब से इजरायल में नेतान्याहू प्रधान मंत्री बने है तब से ही अपने देश के नेता-अफसर उनके नाम की मिलती-जुलती लय में, अपने अपने मकानों के बाहर, अपनी नेम प्लेट्स निम्लिखित तरीके से लगाने लगे है. मसलन
संसदीय चुनाव में हारा हुआ नेता……..सं हा हु
विधान-सभा चुनाव हारा हुआ………..वि हा हु
नगर निगम चुनाव हारा हुआ………न नि हा हु
भूतपूर्व नगर निगम पार्षद………..भू न नि पा
जबरन रिटायर्ड हुआ ऑफीसर…ज रि हु (अपने योगीजी के उत्तम प्रदेश में ऐसे कई मामले हुए हैं)
10, Downing Street.  ब्रिटेन के प्रधान मंत्री का Permanent Resident हैं और दुनियां भर में मशहूर हैं.अपने देश में एक स्थान पर एक सज्जन ने अपनी नेमप्लेट पर अपने नाम के नीचे यह पता लिखवाकर टांग लिया
Shri Ram Kumar Surana
10, Downing Street.
कुछ दिनों बाद उन्होंने पोस्टमेन से adjustment करके यह जानकारी देदी ताकि उनकी कोई पोस्ट बेरंग न लौट जाय. कहते है कि इससे उनका रूतबा काफी बढ गया.

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