जय महाकाय बल के सागर,
भक्तों के तुम हित-रक्षक ॥
विशाल काया अद्भुत बल,
तेरे आगे न टिके कोई दल।
धरती गगन तुझमें समाए,
तेरी महिमा जग में छाए।
शक्ति पुंज तेरे चरणों में,
भय न टिके भक्तों मन में।
तू ही आधार जगत का दाता,
हर संकट का तू है त्राता।
असुर दलन, सज्जन हितकारी,
तेरे नाम से खुशहाली सारी।
तेरा स्मरण हृदय बल देता,
भक्तों को साहस से भर देता।
जय महाकाय जग पालनहार,
तेरे गुण गाएँ नर-नारी अपार।
तेरे चरणों में सुख का वास,
भक्ति सुधा प्रभु का दास।
“राहत टीकमगढ़”