मार्निंग या इवनिंग वाकिग के साथ जीवन की सार्थकता का सूत्र अस्पतालों की वाकिंग

 मॉर्निंग या इवनिंग वॉकिंग पर जाने वाले युवाओं के लिए मेरा सुझाव है, यदि वे अपने आसपास किसी सरकारी अस्पताल में  वॉकिंग के लिए जाए तो अस्पताल में भर्ती गंभीर बीमारियों से दुखी पीड़ितों को देखकर शायद उनके मन में पीड़ितों की सेवा मदद के भाव जगे।
 विभिन्न कागजी खानापूर्ति के लिए विभागों का मार्ग ढूंढते भटकते उनके परिजनों और पीड़ित मरीजों की मदद या सेवा करके पुण्यशाली काम कर अपना भविष्य उज्जवल कर सकते हैं।
पीड़ितो  उनके परिजनों के दुखी चिंतित चेहरों को देखकर अपने धन ,सुंदरता, पद का घमंड त्यागने तथा अपने जीवन में किसी का बुरा न करने भाव जगा सकते हैं।
 वॉकिंग के लिए अस्पताल में रोज नहीं तो सप्ताह में एक बार या महीने में एक बार और यह भी संभव नहीं हो पाए तो हर 6 महीने में एक बार हर युवा को अवश्य किसी  सरकारी अस्पताल में जाना ही चाहिए। ताकि सुख- दुख, जवानी- बुढ़ापा आदि से रूबरू होकर वह अपने जीवन में ऐसी पीड़ा से बचने का उपाय ढूंढ सके। तथा ईश्वर द्वारा प्रदत्त इस जीवन में पीड़ितों की मदद करके अपना जीवन सार्थक बना सके।
 *हीरालाल नाहर* 
*9929686902*
*पत्रकार लेखक एवं चिंतक*

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