सीमाओं की रक्षक हैदुश्मनों के दुश्मन है,
डरते नहीं ये मौत से कभी
हिन्दुस्तान की शान हैं गोरखा।
अक्सर ज़ंग के मैदान में
प्रथम पंक्ति में खड़े रहते है,
बेहिसाब दुश्मनों को मारकर
अंतिम सांस तक लड़ते हैं गोरखा।
ईंट का जवाब पत्थर से देते है
ज़ंग की मैदान से भागते नही है,
अपने बलिदान के सच्ची किस्से
लहू से लिख जाते हैं गोरखा।
गर्व करते है सारा हिंदुस्तान
गोरखाओं की देशभक्ति पर,
देशवासियों की रक्षा की खातिर
खुद को मिटा देते है गोरखा।
पर कोई कहता नेपाली है
कोई कहता विदेशी है,
ऐसी सोच को बदलो यारों क्योंकि
खांटी हिन्दुस्तान के वासी हैं गोरखा
सच्चाई यही है विदेशी नहीं है गोरखा।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा, खड़गपुर प.बं।