जैसा कि हम सब को पता है चुनाव नज़दीक हैं और राजनीति गरमाने लगी है ….आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर अपने चरम पर है ….बस एक ही अभिलाषा है राजनैतिक पार्टियों की कि येन केन प्रकारेण जनता की आँखों में धूल झोंकी जाए और अपना उल्लू सीधा किया जाए ….
एक बार बस वोट मिल जाएँ फिर जनता करे हरि भजन और हम लग जाएँ अपनी जेबें भरने …..
अब लीजिये सुराज संकल्प यात्रा –
वसुंधरा जी कहती हैं सरकार को कुर्सी पर रहने का कोई हक नहीं ….
क्यूँ नहीं ?
कानून व्यवस्था की स्थिति बदहाल है…
आम आदमी सुरक्षित नहीं है …
महिलाओं की इज्ज़त आये दिन तार तार हो रही है ….
अपराधों के रिकॉर्ड में आये दिन वृद्धि हो रही है …
ठीक है माना …..
पर अब चार साल बाद जब चुनाव निकट हैं तब ही क्यूँ आप को स्थिति अचानक बदहाल नज़र आने लगी है …
चार साल में जो जनता त्रस्त रही है उस का क्या ?
तब तो आप सब आँखें मूँद कर आराम की नींद लेते रहे …..
तब क्यूँ नहीं निकल कर आये अपने अपने सुविधा क्षेत्र से ?
सिर्फ वोट की राजनीति क्यूँ ?
सिर्फ चुनाव के ही समय बदहाल राजस्थान क्यूँ नज़र आ रहा है …..
और कटारिया उवाच –
कांग्रेस के नेता ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट हैं …..
ठीक है जी आप ने कहा और जनता ने सुना …..
सिर्फ सुना …..
आप ने दिखाया तो कुछ नहीं …..
माने के सबूत !!!
भाई अगर भ्रष्ट कह रहे होंगे तो किन्हीं सबूतों के आधार पर ही कह रहे होंगे न आप …..
ठीक है वे सबूत जनता के सामने लाइए और उन भ्रष्ट नेताओं पर मुकदमा दायर कीजिये ….
कुछ कीजिये तो सही जिस से जनता के सामने उन की सच्चाई आये …..
आप कांग्रेस की बुराई करते हैं और उन को भ्रष्ट कहते हैं और कांग्रेस आप की बुराई करती है और आप को भ्रष्ट कहती है …..
अब जनता के सामने blame game न खेलिए ….
कुछ ठोस कर के बताइये …….
और उस से भी अच्छी बात
इस बार चुनाव के समय हम सब जनता को मांग करनी चाहिए कि जिस जिस नेता पर उन के विरोधी भ्रष्टाचार का आक्षेप लगा रहे हैं वे स्वयं या उन की पार्टी सत्ता में आने पर उन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाएगी …..
अब चुनाव सभाओं में जनता को मांग करनी ही है कि हर प्रत्याशी चुनाव पूर्व लिखित में दे कि वे जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं,चुनाव जीतने पर वे उन पर मुकदमा दर्ज करवाएंगे ।
अब सिर्फ आक्षेप नहीं अमल भी होगा …..
Blame Game नहीं,जनता को मूर्ख नहीं बनाना ,अब सब कहा हुआ कर के भी दिखाना ….
जनता की आँखें अब लगातार खुली हैं …..
जय हिन्द!
-कीर्ति शर्मा पाठक