संविधान के तेरहवें संशोधन के मुद्दे पर श्रीलंका में संसदीय समिति

keshav ram singhalमैंने अपने लेख ‘श्रीलंका में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत अभियान और प्रांतीय परिषद की शक्तियों में संशोधन’ (http://ajmernama.com/guest-writer/82135/) में इस बात की आशंका जताई थी कि प्रांतीय परिषद के अधिकारों को छीने जाने का प्रयास किया जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब इस बात से अत्यधिक निराशा है कि श्रीलंका अपने संविधान के तेरहवें संशोधन के महत्वपूर्ण प्रावधानों को कमजोर करने की योजना पर काम कर रहा है.
यह श्रीलंका के ‍तमिल समुदाय के राजनैतिक अधिकारों के समाधान पर श्रीलंका सरकार की प्रतिबद्धता पर संदेह पैदा करता है. हालाँकि श्रीलंका सरकार ने सितंबर माह में उत्तरी प्रांत के लिए प्रांतीय परिषद चुनावों के लिए घोषणा कर दी है पर दूसरी ओर ‍तमिल अल्पसंख्यकों के राजनैतिक अधिकारों को कम करने की मंशा से और भारत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विरोध से बेफिक्र श्रीलंका सरकार ने एक संसदीय समिति के नामों की अब घोषणा कर दी है जो संविधान के तेरहवें संशोधन के मुद्दे पर प्रांतों के अधिकारों को कम करने के लिए चर्चा और विचार करेगा. यह संसदीय समिति श्रीलंका के वरिष्ठ मन्त्री निर्मल सिरिपाला डी सिल्वा के नेतृत्व में काम करेगी, जिसमें 19 संसदीय सदस्य हैं. श्रीलंका सरकार के इस कदम का श्रीलंका में अनेक दल विरोध भी कर रहे हैं पर श्रीलंका में इस समय सिंहली राष्ट्रवादी बहुमत में हैं और यह सम्भावना है कि श्रीलंका सरकार प्रांतीय परिषद के अधिकारों को कम करने में कामयाब हो जायेगी पर उनका यह कदम वास्तव में जनतंत्र के लिए ठीक नहीं है.
– केशव राम सिंघल
(लेखक राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं और 1975 में श्रीलंका की यात्रा कर चुके हैं.)
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