हमला हुआ, तो मुँहतोड़ जवाब देगा ईरान

ईरान ने आगाह किया है किसी भी इसराइली हमले की सूरत में वो जवाबी हमले के लिए तैयार है.

इसराइल के प्रधानमंत्री ने कहा था कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय जगत को कोई लक्ष्मण रेखा तय करनी होगी.

न्यूयॉर्क में दिए संयुक्त राष्ट्र भाषण में बिन्यामिन नेतान्याहू का कहना था कि परमाणु बम बनाने के लिए ईरान संवर्धित यूरेनियम इकट्ठा कर रहा है और ईरान को रोकने के लिए समय हाथ से निकलता जा रहा है.

इसके जवाब में संयुक्त राष्ट्र में ईरान के उप राजदूत इसगाह अल हबीब ने कहा, “अपने बचाव में ईरान सक्षम है. किसी भी हमले की स्थिति में ईरान को अधिकार है कि वो पूरी ताकत से कार्रवाई करे. नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में गलत आरोप लगाए हैं.”

पश्चिमी देशों को आशंका है कि ईरान परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा है जबकि ईरान कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है.

बिन्यामिन नेतान्याहू ने अपने भाषण में कहा था, “अगले साल के मध्य तक ईरान के पास परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री होगी. अगर कोई ‘लाल रेखा’ तय होगी तो उससे युद्ध से बचा जा सकेगा न कि इससे युद्ध होगा. परमाणु शक्ति वाले ईरान से ज़्यादा खतरनाक दुनिया के लिए कुछ नहीं हो सकता.”

कार्रवाई या बातचीत?

इसराइली प्रधानमंत्री का कहना था कि सात साल के प्रतिबंधों का ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कोई असर नहीं हुआ है और अगर कोई ‘रेड लाइन’ होगी तो ईरान को पीछे हटना पड़ेगा.

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी कहा था कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए अमरीका ‘वो सब करेगा जो करना चाहिए’.

अमरीका ने जहाँ सैन्य कार्रवाई से इनकार नहीं किया है वहीं उसने ये भी कहा है कि प्रतिबंधों का असर देखने और बातचीत को और समय देना चाहिए.

वहीं बुधवार को ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद ने आरोप लगाया था पश्चिमी देश परमाणु मुद्दे पर ईरान को डरा रहे हैं.

उधर फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन को पूर्ण सदस्य का दर्जा दिए जाने की माँग की. उन्होंने कहा गैर-राज्य का दर्जा हासिल करने के लिए कोशिश चल रही है.

वर्तमान में फ़लस्तीनी लिबरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन यानी पीएलओ के पास केवल स्थायी पर्यवेक्षक का दर्जा है. पिछले साल पूर्ण सदस्यता हासिल करने की मुहिम विफल हो गई थी क्योंकि संयुक्त राष्ट्र महासभा से समर्थन नहीं मिला था.

 

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