पाकिस्तान सरकार ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को दोबारा खोलने के लिए स्विसअधिकारियों को भेजे जाने वाले पत्र का संशोधित मसौदा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया। मगर शीर्ष अदालत इससे संतुष्ट नजर नहीं आई। अदालत ने कहा कि यह पत्र उसके आदेश के अनुरूप नहीं लिखा गया है।
समाचार पत्र ‘डॉन’ के मुताबिक, कानून मंत्री फारूक एच. नाइक ने शीर्ष अदालत के समक्ष पत्र का संशोधित मसौदा पेश किया। न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय पीठ ने कहा कि पत्र का पहला और दूसरा पैराग्राफ न्यायालय के आदेश के अनुरूप है, लेकिन तीसरा पैराग्राफ आदेश से मेल नहीं खाता।
उन्होंने तीसरे पैराग्राफ की समीक्षा करने को कहा। गत 18 सितंबर को प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ ने अदालत के समक्ष कहा था कि सरकार ने परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल में जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले बंद करने संबंधी भेजा गया पत्र वापस लेने का निर्णय किया है। तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने वर्ष 2007 में एक अध्यादेश के जरिए करीब आठ हजार लोगों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामले खत्म किए गए थे।
इसी का लाभ जरदारी को भी मिला था। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2009 में उस अध्यादेश को रद करते हुए राष्ट्रपति समेत सभी लोगों के खिलाफ मामले फिर से खोलने के निर्देश दिए थे।