अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में दोनों खेमों की नजर ‘270’ के जादुई आंकड़े पर

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रिपब्लिकन और डेमाक्रेट दोनों खेमों की नजर ‘270’ के जादुई आंकड़े पर रहेगी। अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर काबिज होने के लिए इलैक्टोरल कॉलेज में उम्मीदवार को कम से कम इतने मत मिलना आवश्यक हैं।

जनसंख्या के आधार पर प्रत्येक प्रांत के निश्चित इलैक्टोरल मत होते हैं। उदाहारण के तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य कैलिफोर्निया के 55 इलैक्टोरल मत हैं। इसके बाद टेक्सास के 38 और फिर फ्लोरिडा और न्यूयार्क के 29 मत तय हैं।

राष्ट्रपति चुनाव की इस प्रणाली के तहत देशभर में 538 इलैक्टोरल मत हैं जिसका मतलब यह हुआ कि किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए कम से कम 270 इलैक्टोरल मतों की जरूरत होगी।

इलैक्टोरल कॉलेज के यही 538 सदस्य 17 दिसंबर को मिलेंगे और अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव करेंगे।

अगले साल 6 जनवरी को सीनेट और प्रतिनिधि सभा के संयुक्त सत्र में इलैक्टोरल मतों की गिनती होगी और दुनिया के सबसे ताकतवर पद पर काबिज होने वाले व्यक्ति के नाम की औपचारिक घोषणा होगी।

इस प्रावधान को 1804 में 12वें संविधान संशोधन से लागू किया गया था। इलैक्टोरल कॉलेज के सदस्यों को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों या संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा मनोनीत किया जाता है जो अपने नेता के लिए मतदान करते हैं।

उदाहरण के तौर पर मैरीलैंड प्रांत में भारतीय मूल के अमेरिकी कुमार बरवे को इलेकटोरल कॉलेज के 10 सदस्यों में शामिल किया गया है।

सभी प्रांतों में एक मत के अंतर से भी अधिक मत पाने वाले उम्मीदवार के हिस्से में सभी इलैक्टोरल मत गिन लिए जाते हैं।

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