अल्जीरिया में मारे गए बंधकों की संख्या बढ़कर 48 हो गई है। वहीं 25 अपहरणकर्ताओं के भी मारे जाने की खबर है। यहां के गैस प्लांट में सैकड़ों लोगों को बंधक बना कर अफ्रीकी महाद्वीप में इस्लामी चरमपंथियों ने फ्रांस को साफ संदेश दिया है कि वे कहीं भी हमला कर सकते हैं। फ्रांस की सेना ने माली पर हमला किया है। इस हमले को अंजाम देने वाले ग्रुप ने धमकी दी है कि वह विदेशियों को फायदा पहुंचाने वाले लोगों पर हमले जारी रखेगा। वहीं विदेश मंत्री मानक्योर एनदियाये ने चेतावनी दी है कि अलकायदा वहां भी अपनी जड़ें जमा रहा है।
इससे पहले रविवार को पांच बंधको को गिरफ्तार किया गया था। अल्जीरियाई सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि गैस प्लांट में विदेशी और स्थानीय कर्मचारियों को बंधक बनाने वाले इस्लामी समूह के पांच संदिग्ध सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन तीन अन्य अब भी फरार बताए गए हैं। इससे पूर्व अल्जीरिया की सरकार ने चेतावनी दी थी कि इस घटना में मारे गए बंधकों की संख्या बढ़ सकती है। अधिकारियों ने कहा था कि कम-से-कम 25 बंधक मारे गए हैं। इससे एक दिन पहले अल्जीरिया के अधिकारियों ने कहा था कि सभी 32 अपहरणकर्ताओं को सेना ने मार गिराया था।
राष्ट्रपति माकी साल ने सभी सेनेगलवासियों से अपील की है कि बाहर से आने वाले मुसलमानों की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में जानकारी दें। उन्होंने सभी को चौकस रहने की अपील की है। उत्तरी माली में अल कायदा के लड़ाकों के पास काफी समय था कि वे संगठित हो सकें और नए लोगों की भर्ती कर सके। पिछले साल सरकार ने इनसे बातचीत की कई कोशिश की, जो नाकाम हो गई और कुल मिला कर इससे चरमपंथी संगठन को फायदा ही हुआ।
जानकारों का मानना है कि अफ्रीकी देशों की सेनाएं इस तरह से व्यवस्थित नहीं हैं और संकट की घड़ी में वे करारा जवाब देने के काबिल नहीं हैं। माली में फ्रांस का हमले होने के बाद काफी संख्या में माली लोग यहां वहां चले गए हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो छोटी-छोटी टुकड़ियों में लड़ाके गुरिल्ला युद्ध कर रहे हैं। सेनेगल की राजधानी डकार में एक युवाओं का कहना है कि इस हमले के बाद मुसलमानों में खीझ फैल सकती है। किसी भी तरह के सैनिक हस्तक्षेप में बहुत बर्बादी होती है और कट्टरता को बढ़ावा मिलता है।
सुरक्षा जानकारों ने फिलहाल अफ्रीका में कट्टर इस्लामी ताकतों के उदय की संभावना से इन्कार कर रहे हैं। उन्हें लगता है कि नाइजीरिया में इसका संकट गहरा रहा है, जहां बोको हराम के आतंकी मुश्किलें पैदा कर रहे हैं। उनका कहना है कि आम तौर पर यहां सूफी मुसलमानों की तादाद है, जो बहुत मिलनसार और खुले दिमाग वाले हैं, लेकिन उन्हें सही सरकार नहीं मिल पा रही है।
हालांकि माली संकट ने पूरे इलाके का परिदृश्य बदल दिया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माली की काफी अहमियत है, जहां दुनिया भर की कंपनियां तेल और खनन उद्योग में सक्रिय है। वहां के निर्माण उद्योग में भी काफी अंतरराष्ट्रीय कंपनियां लगी हैं।
अफ्रीकी देशों में कई संगठन सीमा पार कर एक देश से दूसरे देश में आ जा रहे हैं, जबकि छोटे छोटे गुट देश के अंदर सक्रिय हैं। ऐसे में यहां पर आतंकी संगठनों की तादाद भी बढ़ी है। हालांकि फ्रांस चाहता तो यह था कि अफ्रीकी देश ही माली पर कार्रवाई करे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जिसके बाद फ्रांस को ही इसके लिए सामने आना पड़ा।
इंटरनेट पर माली की घटना ने सीरिया को भी पीछे छोड़ दिया है, माली पर लगातार लोग चर्चा कर रहे हैं। इस्लामी चरमपंथियों ने बार-बार धमकी दी है कि वे पश्चिमी देशों के सहायक लोगों पर अफ्रीका में हमला कर सकते हैं। सुरक्षा जानकारों का कहना है कि अगर अल्जीरिया जैसे देश में हमले हो सकते हैं, तो बाकी के अफ्रीकी देश तो बेहद कमजोर हैं। उत्तरी माली पर कब्जे के दौरान इस्लामी चरमपंथियों ने सहारा मरुस्थल के कई क्षेत्रों से लड़ाकों को भर्ती किया है।
घाना की कोफी अन्नान अंतरराष्ट्रीय शांति ट्रेनिंग सेंटर के एक्सपर्ट क्वेसी आनिंग का कहना है, फ्रांस माली से चरमपंथियों को खदेड़ देना चाहता है। लेकिन इससे नाइजीरिया समेत बुरकीना फासो को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। नाइजीरिया यहां की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यहां तेल का अकूत भंडार है। यहां के सुरक्षा बलों को पहले ही बोको हराम के चरमपंथियों से निपटना पड़ रहा है।