नई दिल्ली। रूस, चीन, इजरायल, इटली, फ्रांस जैसे हथियार बनाने वाले प्रमुख देशों के साथ-साथ दुनिया के दो तिहाई देशों में रक्षा सौदे में दलाली और भ्रष्टाचार आम बात है। बड़े रक्षा सौदों के ठेके हासिल करने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लेना कंपनियों की आदत-सी बन गई है। पूरी दुनिया में इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले उजागर हो चुके हैं, जिनमें कुछ में से कुछ में तो आरोपी पर कार्रवाई भी हुई। पिछले कुछ सालों में दुनिया के विभिन्न देशों में हुए रक्षा घोटाले और उसमें हुई कार्रवाई पर डालते हैं एक नजर :-
1. रूस ने रक्षा मंत्री को हटाया :
वैसे तो रक्षा घोटाले में अधिकारियों पर कार्रवाई आम बात मानी जाती है, लेकिन रूस में तो घोटाले में रक्षा मंत्री को ही अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। दुनिया के प्रमुख हथियार डीलर वाले देशों में शुमार रूस में कुछ महीने पहले राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल नवंबर में रक्षा मंत्री अनातोली सेरद्युकोव को विभाग में 95 मिलियन डॉलर के घोटाले के आरोप में पद से हटा दिया था। उन पर आरोप था कि रक्षा मंत्रालय की संपत्तियों को तीन अरब रूबल के घाटे में उन्होंने एक व्यावसायिक फर्म को बेचा। इस कदम से पुतिन ने यह संदेश देने की कोशिश की कि रक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
2. कनाडा में लड़ाकू विमान का घोटाला:
हाल में अमेरिका से एफ-35 लड़ाकू विमानों की खरीद पर कनाडा में खूब हंगामा मचा। अप्रैल 2012 में कनाडा के ऑडिटर जनरल ने भी खरीद पर सवाल खड़े किए। इस रक्षा सौदे को देश के आर्थिक हितों के खिलाफ बताया गया। कनाडा के मीडिया की सुर्खियों में रहे इस सौदे को पूरी तरह से गलत करार दिया गया।
3. फ्रांस का पनडुब्बी घोटाला:
पनडुब्बी और लड़ाकू जहाज बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी डीएनएसएस और मलेशिया सरकार के बीच दो स्कॉर्पियन पनडुब्बी को लेकर समझौता हुआ। लेकिन समझौते पर उंगली उठने के बाद 2010 में फ्रांस सरकार ने मामले की जांच का आदेश दिया। बाद में खुलासा हुआ कि इस सौदे में मलेशिया के तत्कालीन रक्षा मंत्री के दोस्त की कंपनी ने भूमिका निभाई और उसने फ्रांस और मलेशिया के कई अधिकारियों को रिश्वत दी।
4. ताइवान का युद्धपोत घोटाला :
फ्रांस की कंपनी थेल्स और ताइवान के बीच युद्धपोत के लिए समझौता हुआ। इस सौदे को लेकर आरोप लगा कि थेल्स ने इस ठेके को हासिल करने के लिए पांच लाख डॉलर से ज्यादा की रिश्वत दोनों देशों के अधिकारियों को दी, जबकि ये युद्धपोत ताइवान की जरूरतों के लिए भी फिट नही बैठते थे। बाद में जब जांच शुरू हुई तो सौदों में शामिल रहे आठ अधिकारियों की संदिग्ध हालत में मौत हो गई। जांच के दौरान स्विस बैंक के 60 खातों में जमा साढे सात करोड़ डॉलर से ज्याद की रकम को सीज कर लिया गया। जून 2007 में इस रकम में से 34 लाख डॉलर की रकम स्विस बैंक ने ताइवान को लौटा दी, जबकि फ्रांस की अदालत ने थेल्स कंपनी पर जून 2011 में छह करोड़ तीस लाख यूरो का जुर्माना लगाया।
5. श्रीलंका में घोटाला :
श्रीलंका के पूर्व सेनाध्यक्ष सरत फोंसेका को हथियार सौदे में भ्रष्टाचार को लेकर कोर्ट मार्शल किया गया, जिसमें उन्हें तीन साल की सजा की सिफारिश की गई। इसके साथ ही उनका दर्जा, पेंशन और पदक वापस लेने के आदेश दिए गए थे। फोंसेका पर आरोप था कि सेनाध्यक्ष रहते हुए हथियार सौदों में अपने दामाद कंपनी का उन्होंने पक्ष लिया था।
6. इराक में रक्षा सौदा घोटाला :
इराक और रूस के बीच अक्टूबर 2009 में 4.2 अरब डॉलर से अधिक का हथियार सप्लाई का सौदा हुआ था। लेकिन इस सौदे को लेकर मीडिया रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी के बेटे तथा कुछ सांसद इस डील के पीछे थे और इसमें उन्होंने रिश्वत भी ली। इसकी जांच जारी है।