जापान में गिरे परमाणु बम से 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली था उल्कापिंड

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न्यूयार्क/वाशिंगटन। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का दावा है कि रूस के यूराल क्षेत्र में गिरा उल्कापिंड करीब तीस परमाणु बम जितना शक्तिशाली था। एजेंसी के अनुसार, दस हजार टन वजन वाला यह उल्कापिंड वातावरण में करीब 32 मील की ऊंचाई पर टूटकर बिखर गया था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1945 में जापान के हिरोशिमा शहर में गिराए गए एक परमाणु बम से जितनी ऊर्जा पैदा हुई थी, वैसे तीस बमों की ताकत अकेले इस उल्कापिंड में थी। धरती के वातावरण से टकराते समय उसने 500 किलो टन के बराबर ऊर्जा पैदा की थी।

यह हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से 30 गुना ज्यादा शक्तिशाली थी। नासा के मुताबिक, रूस में गिरा उल्कापिंड करीब 55 फीट लंबी चट्टान थी, जिसका वजन दस हजार टन के करीब आंका गया है। अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों का कहना है कि वातावरण में यह उल्कापिंड करीब 32 मील की ऊंचाई पर टूटकर बिखर गया। इससे यूराल पर्वत क्षेत्र के पास चेल्याबिंस्क शहर में काफी तबाही मची। दुनियाभर में स्थित पांच इंफ्रारेड स्टेशनों से एकत्रित किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 643734 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाला यह उल्कापिंड धरती के वातावरण में प्रवेश करने के 32.5 सेकेंड बाद विस्फोट के साथ 24 किमी ऊपर ही टुकड़े टुकड़े हो गया था।

कुछ लोगों का मानना है कि यह उल्कापिंड शुक्रवार को धरती के पास से गुजरे क्षुद्रग्रह 2012 डीए14 का एक हिस्सा था, लेकिन नासा के मार्शल स्पेस फ्लाइट सेंटर के बिल कुक के मुताबिक यह गलत है। वर्ष 1908 में साइबेरिया में गिरे उल्कापिंड के बाद से यह सबसे बड़ा उल्कापिंड था। छह गोताखोरों के एक समूह ने उल्कापिंड के टुकड़ों को खोजने के लिए राजधानी मास्को से करीब डेढ़ हजार किलोमीटर पूर्व में चेल्याबिंस्क क्षेत्र की जमी हुई झील की तलहटी खंगालनी शुरू कर दी है। माना जा रहा है कि उल्का का कुछ हिस्सा इसी जमी हुई झील च्लेक चेबारकुलच में गिरा है।

नासा के धरती के चारों और घूमने वाली वस्तुओं की पड़ताल करने वाले कार्यक्रम के प्रमुख पॉल चोडास के अनुसार, हम इस तरह की खगोलीय घटना की सौ साल में एक बार उम्मीद करते हैं। नासा की वेबसाइट पर जारी बयान में चोडस का कहना था कि धरती की ओर तेजी से बढ़ते विशालकाय आग के गोले को असहाय बनकर देखना काफी भयावह था। इससे पूर्व 1908 में रूस में ऐसी खगोलीय घटना देखने को मिली थी, जिस समय एक क्षुद्रग्रह ने साइबेरिया के तुंगुस्का में भारी तबाही मचाई थी।

रूसी संसद के विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष अलेक्सई पुस्कोव के अनुसार, धरती पर एक-दूसरे से लड़ने की बजाय सभी देशों को क्षुद्र ग्रह और उल्कापिंड से बचाव की साझा प्रणाली विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिए। बता दें कि शुक्रवार को 55 फीट चौड़े और दस हजार टन वजन के इस उल्कापिंड ने कहर ढाया। 1200 से अधिक लोग घायल हो गए। घरों व इमारतों के शीशे टूट गए। ज्यादातर लोग टूटे कांच के टुकड़ों से ही जख्मी हुए। कई इमारतों की दीवारों में दरार आ गई। वहीं एक जिंक फैक्ट्री की छत पूरी तरह से नष्ट हो गई।

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