पाक ने ग्वादर बंदरगाह चीन को सौंपा, भारत की बढ़ी चिंता

gwadarport 2013-2-19नई दिल्ली। पाकिस्तान ने ग्वादर बंदरगाह का मैनेजमेंट चीन के हाथों सौंप दिया है। भारत के लिए सुरक्षा लिहाज से यह बेहद चिंताजनक खबर है। इसके साथ ही अरब सागर में चीन के जहाजों की आवाजाही बढ़ जाएगी वहीं भारत की सुरक्षा के लिए यह गंभीर खतरा भी बन सकती है। इस समझौते पर पाकिस्तान और चीन ने सोमवार को हस्ताक्षर किए।

भारत पर दबाव बनाने के लिए पाकिस्तान ने नई रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। इसके तहत ही उसने ग्वादर बंदरगाह का मैनेजमेंट चीन के हवाले किया है। अरब सागर में चीन की बढ़ती गतिविधियां भारत के लिए पाकिस्तान से ज्यादा बड़ा खतरा साबित हो सकती हैं। इससे पहले भी पाकिस्तान कश्मीर के कुछ हिस्से को चीन को सौंप चुका है।

ग्वादर बंदरगाह पाकिस्तान के लिए बेहद सामरिक महत्व वाला बंदरगाह है। इस बंदरगाह को चीन को सौंपे जाने पर भारत ने कड़ी चिंता जताई है। हालांकि पाकिस्तान ने इस चिंता को खारिज किया है।

इस समझौते के अनुसार, गहरे समुद्र वाला यह बंदरगाह पाकिस्तान की ही संपत्ति रहेगा। लेकिन चीन की कंपनी इस बंदरगाह से होने वाले कामकाज के लाभ की हिस्सेदार रहेगी।

भारत के रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने भी छह फरवरी को कहा था कि पड़ोसी देश के बंदरगाह पर चीन का नियंत्रण चिंताजनक है। बंदरगाह का काम पूरा होने के बाद चीन की नौसेना इसका इस्तेमाल कर सकेगी जो भारत की सामरिक सुरक्षा के लिए ठीक नहीं है। इस क्षेत्र में पाकिस्तान से पश्चिमी चीन तक ऊर्जा और खाड़ी देशों से व्यापार के लिए कारिडोर खोलने की योजना है।

समझौते पर ग्वादर पोर्ट अथॉरिटी के चेयरमैन सैयद परवेज अब्बास, सेना संचालित नेशनल लालिस्टिक प्रकोष्ठ के मेजर जनरल अश्गर नवाज, एकेडी सिक्युरिटी के चेयरमैन अकील करीम धेदी और चाइना ओवरसीज़ पोर्ट हाल्डिंग्स के लिओ फांग और पोर्ट आफ सिंगापुर अथारिटी के प्रतिनिधि फैसल जावेद ने हस्ताक्षर किए।

चीन ने इस बदंरगाह के निर्माण के लिए शुरुआत में 75 प्रतिशत धन उपलब्ध कराया। बंदरगाह के निर्माण पर 25 करोड़ डॉलर का खर्च आया। पाकिस्तान सरकार ने 30 जनवरी को ग्वादर बंदरगाह के प्रबंधन का अधिकार सिंगापुर से चीन को हस्तांतरित किया। पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने इस सिलसिले में जरूरी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के बाद उम्मीद जताई कि यह स्थान जल्द ही क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्य का गढ़ बनेगा। गौरतलब है कि चीन ने भारत के पड़ोसी देशों श्रीलंका के हंबनटोटा और बांग्लादेश के चटगांव में भी बंदरगाहों के निर्माण में वित्तीय मदद दी है।

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