50 रूपए लेकर निकला,बनाए 600 मिलियन

mananदुबई। इंसान चाहे तो क्या कुछ नहीं कर सकता,इसकी जीती जागती मिसाल है शोभा ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक पीएनसी मेनन। मेनन 1970 में जब ओमान गए थे तब उनके पास सिर्फ 50 रूपए थे लेकिन आज वह 600 मिलियन डॉलर के मालिक है।

निजी संपत्ति का 50 फीसदी करेगा दान

गल्फ कॉरपोरेशन काउंसिल के मुताबिक मेनन भारतीय अमीरों की सूची में 21वें स्थान पर है। वे फिलहाल दुबई में रहते हैं और वहीं से अपनी कंपनियों का कामकाज संभालते हैं। मेनन ने अपनी निजी संपत्ति का 50 फीसदी दान करने की घोषणा की है। मेनन के इतनी बड़ी शख्सियत बनने की कहानी काफी दिलचस्प है।

घर से निकले तब जेब में थे सिर्फ 50 रूपए
एक दिन उन्हें कोई शख्स मिला। उसने सलाह दी कि ओमान में शिफ्ट हो जाओ। मेनन ने अनजान देश में जाने का रिस्क लिया।
उस वक्त उनकी जेब में सिर्फ 50 रूपए थे। 1970 में मेनन ओमान गए। उस वक्त लोन भी काफी मुश्किल से मिलता था। उन्होंने किसी तरह 3 लाख 50 हजार रूपए के लोन का जुगाड़ किया।

धीरे धीरे बढ़ी साख,दौलत बढ़ी

इस पैसे से उन्होंने ओमान में डेकोरेशन फर्म की स्थापना की। धीरे धीरे उनकी कंपनी को ग्राहक मिलने लगे। कड़ी मेहनत के बल पर उन्होंने कंपनी की साख को बनाया। धीरे धीरे उनकी कंपनी को बड़े बड़े प्रोजेक्ट मिलने लगे। उन्होंने ब्रूनेई के शाह के महल की डिजाइन का ठेका मिला।

1985 में उन्होंने रियल एस्टेट में हाथ आजमाया। मेनन ने दक्षिण भारत में अपनी पत्नी के नाम पर शोभा डेवलपर्स नाम से कंपनी शुरू की। 2008 में इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने उन्हें बेंगलूरू में कंपनी के पहले दफ्तर की डिजाइन तैयार करने को कहा। ऎसा नहीं है कि मेनन की राह में दिक्कते नहीं आई।

एक वक्त कर्ज में डूब गए थे

2008-09 में उन्हें वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन धैर्य के बलबूते उन्होंने उन दिक्कतों से पार पा लिया। आज शोभा डेवलपर्स कंपनी 5 हजार 850 करोड़ रूपए की कंपनी है। 2006 में मेनन ने दक्षिण भारत में शोभा हैरिटेज और शोभा एकेडमी की स्थापना की। ये संस्थाएं दो गांवों के 2500 गरीब परिवारों को शिक्षा और अन्य सुविधाएं मुहैया कराती है।

मेनन ने समाचार पत्र अरेबियन बिजनेस को बताया कि वह भारत और ओमान में शैक्षणिक संस्थान खोलना चाहते हैं। समाचार पत्र ने मेनन के हवाले से बताया कि जब आप एक बार पैसा बना लेते हैं तो सारा पैसा आपको अपने परिवार के लिए नहीं रखना चाहिए।

उसका एक बड़ा हिस्सा समाज की भलाई के लिए खर्च करना चाहिए। बकौल मेनन मेरे विचार काफी सरल हैं। मैं खुशकिस्मत हूं कि मैने पैसा कमाया। कुछ वक्त के बाद पैसा आपकी जिंदगी में ज्यादा अहमियत नहीं रखता। पैसे दान करने को मैं चैरिटी नहीं कहता। समाज को कुछ देना आपकी जिम्मेदारी और कर्तव्य है।

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