अमेरिका ने किया बहादुर बेटी का सम्मान

daminiवाशिंगटन। पिछले साल 16 दिसंबर को नई दिल्ली में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई पीड़िता को अमेरिका ने शुक्रवार को मरणोपरांत ‘इंटरनेशनल वूमन ऑफ करज’ अवार्ड [अंतरराष्ट्रीय साहसिक महिला पुरस्कार] से सम्मानित किया। जबकि पूर्व में अमेरिका विरोधी टिप्पणी करने के कारण मिस्र की मानवाधिकार कार्यकर्ता समीरा इब्राहीम को यह पुरस्कार देने से मना कर दिया गया। इसकी घोषणा पुरस्कार देने के कुछ घंटे पहले की गई।

शुक्रवार को आयोजित समारोह के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा,’उसकी [दुष्कर्म पीड़िता] बहादुरी ने करोड़ों महिलाओं और पुरुषों को ‘नहीं, अब और नहीं। लिंग आधारित हिंसा अब और नहीं। पीड़ितों और इसके शिकार हुए लोगों के खिलाफ अब कलंक नहीं’ संदेश के साथ एकसाथ सामने आने के लिए प्रेरित किया।’ इस मौके पर 23 वर्षीय प्रशिक्षु फिजियोथेरेपिस्ट के परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। कार्यक्रम की अध्यक्षता अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा ने की। इसमें अमेरिका में भारत की राजदूत निरुपमा राव ने शिरकत की। इस मौके पर आठ अन्य महिलाओं को अवार्ड से सम्मानित किया गया।

खचाखच भरे सभागार में केरी ने पीड़िता को बहादुर, दिलेर और निर्भीक बताया। उन्होंने वहां उपस्थित लोगों से खड़े होकर उसकी याद में एक मिनट का मौन रखने को कहा। केरी ने कहा, बहादुरी बेटी की जंग आज भी उसे जिंदा रखे हुए है। भारत और विश्व में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए लोगों को साथ काम करने की प्रेरणा के साथ हम उसे मरणोपरांत सम्मानित करते हैं। पीड़िता के माता-पिता द्वारा इस मौके के लिए भेजे गए संदेश को खुद केरी ने पढ़कर सुनाया। इसमें कहा गया,’आज हमारा संदेश दुनिया के लिए यह है कि अपने सम्मान और गरिमा पर हमला न होने दें, दु‌र्व्यवहार चुपचाप सहन न करें। पहले महिलाएं यौन दुराचार का शिकार होने पर मुंह बंद रखती थी और सामने नहीं आती थीं। वे इसकी शिकायत पुलिस में नहीं करती थी। उन्हें कलंकित होने का डर लगता था। अब यह परिदृश्य बदल गया है। अब डर खत्म हो गया है। हालांकि उसका अंत खराब था, लेकिन उसका मामला महिलाओं को लड़ने की शक्ति और व्यवस्था में सुधार पर बल दे रहा है।’

पीड़िता के माता-पिता ने अपने संदेश में कहा कि उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी कि उनकी बेटी एक दिन दुनिया की बेटी बन जाएगी। यह अपनेआप में बहुत बड़ी उपलब्धि है। उधर चीन द्वारा वीजा देने से इन्कार करने के कारण तिब्बती लेखक, कवयित्री और ब्लॉगर सेरिंग वायजर समारोह में शामिल नहीं हो सकीं।

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