दिल्ली। दो भारतीय मछुआरों की हत्या का मामला झेल रहे इटली के दो नौसैनिकों को भारत नहीं भेजने के फैसले से भारत सरकार सक्ते में हैं। इटली सरकार द्वारा अपने दो नाविकों को भारत भेजने से इनकार के बाद भारत सरकार ने कहा कि वह अभी इटली द्वारा भेजे गए जवाब का अध्ययन कर रही है। इसके बाद वह अपनी आगे की रणनीति तय करेगी। वहीं इटली के इस अड़ियल रवैये पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि इटली का यह कदम अस्वीकार्य है। हमारे विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद इस मुद्दे पर इटली के साथ बात करेंगे।
वहीं खुर्शीद ने कहा कि दोनों नाविकों को भेजने का फैसला सामूहिक था। अभी हम उन कारणों का अध्ययन कर रहे हैं जिनका हवाला देकर इटली ने अपने दो नाविकों को भारत नहीं भेजा।
इटली ने लिखा है कि उसने अपने नौसैनिकों को वापस नहीं भेजने का फैसला इटली के रक्षा मंत्रालय और न्याय मंत्रालय ने प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर लिया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह इस मसले पर सरकार से जवाब मांगेगी। उनका कहना है कि इटली ने आखिर भारत के साथ इस तरह का हल्का व्यवहार क्यों किया है।
इतालवी सरकार इस मसले को कूटनीतिक प्रयास के जरिए हल करने की बात कही थी, लेकिन भारत की ओर से कोई जवाब नहीं आया। इटली के विदेश मंत्रालय के मुताबिक उसने भारत को इस बारे में औपचारिक जानकारी दे दी है। इटली में आम चुनाव में मतदान करने के लिए इन दोनों को अपने देश जाने की अनुमति मिली थी।
गौरतलब है कि इतालवी जहाज पर तैनात दो मरीन सैनिकों ने दो भारतीय मछुआरों पर अचानक गलतफहमी में गोलियां चला दी थीं। हत्या के आरोप में गिरफ्तार हुए दोनों इतालवी नौसैनिकों को पिछले साल भारत में हिरासत में ले लिया गया था। इटली में आम चुनाव में मतदान करने के लिए इन दोनों को अपने देश जाने की अनुमति मिली थी। इससे पहले दिसंबर 2012 में भी उन्हें क्रिसमस मनाने के लिए इटली जाने की अनुमति भी मिली थी जिसके बाद वे भारत लौट आए थे। तब केरल हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार दोनों इतालवी नौसैनिकों ने छह करोड़ रुपये की बैंक गांरटी दी थी और दो हफ्तों के भीतर भारत वापस आना होने का लिखित आश्वासन दिया था।
मछुआरों के परिवारवालों से हुए एक समझौते के तहत इटली की सरकार ने मारे गए दोनों मछुआरों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की घोषण की थी। इतालवी सरकार चाहती है कि दोनों मरीन सैनिकों पर इटली में ही मुकदमा चले, जबकि भारत सरकार इसके सख्त खिलाफ है। इटली का मानना है कि ये पूरी घटना अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा में हुई और ये मामला भारतीय अदालतों के कार्यक्षेत्रों से बाहर है लेकिन भारत इससे सहमत नहीं है। पिछले वर्ष इतालवी सरकार ने भारत सरकार से दोनों मरीन के खिलाफ मामला न चलाए जाने की चेतावनी भी दी थी। लेकिन भारत सरकार द्वारा मामला चलाए जाने के बाद विरोध स्वरूप इटली ने अपने राजनयिक भारत से वापस बुला लिए थे।