इस्लामाबाद। पाकिस्तान में लोकतंत्र के लिए बेहद अहम चुनाव 11 मई को होने वाले हैं। देश में पहली बार लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर दूसरी के लिए रास्ता साफ कर रही है। हालांकि, देश के युवाओं को लोकतंत्र से ज्यादा इस्लामिक कानून शरई भा रहा है। देश का 90 फीसद युवा निराश है। उसका मानना है कि पाकिस्तान गलत दिशा में जा रहा है।
ब्रिटिश काउंसिल के एक सर्वे नेक्स्ट जनरेशन गोस टू द बेलट बॉक्स में कहा गया है कि पाकिस्तानी के 40 फीसद युवा शरई कानून को ज्यादा पसंद करते हैं। यह सर्वे 18-29 वर्ष की उम्र वाले पांच हजार युवाओं के बीच हुआ। इसमें कहा गया है कि आम चुनाव में युवाओं की भूमिका खास रहने वाली है। ये पंजीकृत मतदाताओं की संख्या के करीब एक तिहाई हैं। सर्वे के मुताबिक, इनमें से आधे से ज्यादा युवाओं ने कहा कि लोकतंत्र उनके और देश के लिए अच्छा नहीं रहा है। सर्वे से जुड़े कॉलम लेखक फसी जका ने कहा कि साल दर साल देश के युवा लोकतंत्र से निराश हो रहे हैं। 94 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि पाकिस्तान ने गलत राह पकड़ ली है।
सर्वश्रेष्ठ राजनीतिक व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर 32 फीसद ने सैनिक कानून और 38 फीसद ने शरिया को लोकतंत्र से बेहतर माना। पांच साल के नागरिक शासन से उसका मोहभंग हो चुका है। सरकार के पक्ष में बोलने वाले सिर्फ 13 फीसद युवा थे। एक तिहाई युवकों ने ये भी माना कि हिंसा से उन पर सीधा असर पड़ा है। लेकिन, इन युवकों के लिए ज्यादा चिंता की बात है बढ़ती कीमतें न कि आतंकवाद। सर्वे में शामिल युवाओं में से 50 प्रतिशत से भी कम ने ये कहा कि वे जरूर मतदान करेंगे। युवाओं ने 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या, 2005 के भूकंप और 2010 की बाढ़ को अपने जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं में गिना। केवल 10 फीसद युवा ही मानते हैं कि देश में पर्याप्त नौकरियां मौजूद हैं।