इस्तांबुल। गर्भाशय प्रत्यारोपित कराने वाली दुनिया की पहली महिला अब मातृत्व सुख भी प्राप्त करेगी। तुर्की की देर्या सिर्त दो हफ्ते की गर्भवती हैं। उन्होंने आइवीएफ तकनीक के जरिये गर्भधारण किया है।
सिर्त के डॉक्टर मुस्तफा उनाल ने कहा कि फिलहाल वह बिल्कुल ठीक हैं। उनकी देखभाल तुर्की के दक्षिणी अंताल्य प्रांत के उसी अस्पताल में की जा रही है, जिसमें अगस्त, 2011 में एक मृत महिला का गर्भाशय प्रत्यारोपित किया गया था। तब इसे चिकित्सा का चमत्कार कहा गया था। अब उनके गर्भवती होने की खबर से दुनिया भर की उन हजारों महिलाओं को आस बंधी है, जिनकी गोद सूनी है।
बच्चे का जन्म ऑपरेशन से ही कराया जाएगा। गर्भ के कुछ माह बढ़ने के साथ ही सिर्त के शरीर से गर्भाशय निकाल लिया जाएगा, ताकि बच्चे को सुरक्षित रखा जा सके और किसी भी तरह की जटिलताओं से बचाया जा सके। लेकिन, विशेषज्ञों ने प्रतिरोधक दवाओं व समय से पहले डिलीवरी कराने की मजबूरी के कारण सिर्त और बच्चे की सेहत के प्रति चिंता जताई है। उन्हें आशंका है कि कहीं बच्चे में कोई विकार पैदा न हो जाए।
दुनिया भर में औसतन 5000 में एक महिला का जन्म बिना गर्भाशय के होता है। सिर्त भी उन्हीं में से एक हैं। हालांकि उनसे पहले वर्ष 2000 में सऊदी अरब की एक महिला को एक जीवित महिला का गर्भाशय प्रत्यारोपित किया गया था, लेकिन कुछ परेशानियों के कारण 99 दिन बाद ही डॉक्टरों को उसे निकालना पड़ा था। सिर्त के केस में एहतियात बरतते हुए डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण से पहले 18 महीनों तक इंतजार किया, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि गर्भाशय सही काम कर रहा है और दोबारा किसी अनहोनी से बचा जा सके।