सात दोस्तों के मजाक से अब तक 70 हजार की मौत

seven-friend-started-syrias-civil-warलंदन। पिछले दो साल से सीरिया में जारी संघर्ष में 70 हजार लोग मारे जा चुके हैं। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं था कि इसकी शुरुआत कैसे हुई। अब इस जानलेवा गृहयुद्ध की शुरुआत की कहानी पहली बार सामने आई है।

सीरिया में उन सात दोस्तों के लिए वह दिन भी रोज जैसा ही था। हंसी-ठिठोली का दौर जारी था। लेकिन, आंखें टीवी स्क्त्रीन पर चल रही मिस्त्र और लीबिया की खबरों पर थीं। उन्हें अपने देश सीरिया में पिछले चार दशकों से सत्ता पर काबिज असद परिवार का शासन निराश कर रहा था। तभी एक दोस्त के दिमाग में सुरक्षाबलों को परेशान करने का ख्याल आया। अगले दिन स्कूल की अंतिम प्रार्थना के बाद सातों ने स्कूल की दीवार को तरह-तरह के बगावती फरमानों से रंग डाला।

सबसे सक्रिय बशीर अबाजेद ने दीवार पर लिखा, अब तुम्हारी बारी है डॉक्टर! (असद ने लंदन में डॉक्टरी की पढ़ाई की थी)। दूसरे ने भित्ती पर लिखा, बशर अल असद मुर्दाबाद। यह सब करते हुए शायद उन्हें भी उम्मीद नहीं होगी कि उनका यह मजाक एक ऐतिहासिक विद्रोह का कारण बनेगा। घटना के समय अबाजेद महज 15 साल के थे और आज 18। वह बताते हैं कि उस रात हमारी हंसी थामे नहीं थम रही थी, लेकिन अब हालात अलग हैं। घटना के अगले दिन स्कूल में तलाशी हुई। पुलिस अबाजेद के दोस्त नायफ को पकड़कर ले गई। उसे इतना मारा कि उसने अबाजेद और बाकी दोस्तों के नाम बता दिए। बाद में नायफ के पिता के कहने पर अबाजेद ने आत्मसमर्पण कर दिया। उस दिन के बाद यातनाओं का ऐसा दौर शुरू हुआ, जिनके बारे में सोचकर रूह कांप उठती है। 24 दिन तक बर्बरतापूर्ण व्यवहार होता रहा। कभी इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते, कभी बेहिसाब पिटाई होती, कभी रबर की ट्यूब से मारा जाता तो कभी गर्म पानी फेंका जाता।

इसी दौरान डेरा में भी प्रदर्शन भड़क चुका था। वह 18 मार्च, 2011 का दिन था, जब लोग सड़कों पर उतर आए। पहली बार खुलेआम असद विरोधी नारे लग रहे थे। पुलिस की गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई। विद्रोह थमा नहीं और सरकार को लड़कों को रिहा करना पड़ा। घटना के बाद से डेरा के ये लड़के एक मिसाल बन चुके थे। दूसरी ओर सीरिया में विद्रोह की आवाज बुलंद हो चुकी थी। यह खूनी संघर्ष आज भी जारी है।

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